समाचारों को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास एक समस्या; देश का नाम बदनाम हो रहा: CJI रमाना
LiveLaw News Network
2 Sept 2021 1:16 PM IST
दिल्ली निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात की बैठक के सांप्रदायिकरण के लिए मीडिया के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली रिट याचिकाओं के एक बैच की सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमाना ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन पोर्टलों में समाचारों को सांप्रदायिक रंग देने के प्रयासों के बारे में चिंता व्यक्त की।
CJI ने अफसोस जताया कि वेब पोर्टल किसी चीज से शासित नहीं होते हैं और सोशल मीडिया कंपनियां केवल शक्तिशाली लोगों की सुनती हैं, संस्थानों या आम लोगों की नहीं।
उन्होंने कहा, "ट्विटर, फेसबुक या यूट्यूब ... वे हमें कभी जवाब नहीं देते हैं और कोई जवाबदेही नहीं है। संस्थानों के बारे में उन्होंने बुरा लिखा है और वे जवाब नहीं देते हैं और कहते हैं कि यह उनका अधिकार है। उन्हें केवल शक्तिशाली पुरुषों की चिंता है, जजों की नहीं, संस्थानों या आम आदमी। हमने यही देखा है।"
CJI ने यह भी पूछा कि क्या यूट्यूब जैसे वेब पोर्टलों को नियंत्रित करने वाले कोई नियम हैं, जो एक मिनट में इतना कुछ दिखाते हैं।
"यदि आप यूट्यब पर जाते हैं, तो एक मिनट में इतना कुछ दिखाया जाता है। आप देख सकते हैं कि कितनी नकली खबरें हैं। वेब पोर्टल किसी भी चीज से नियंत्रित नहीं होते हैं। समाचारों को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जाता है और यह एक समस्या है। अंतत: इससे देश का नाम खराब होता है । "
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दिया , "न केवल सांप्रदायिक बल्कि प्रायोजित खबरें भी दिखाई जाती हैं।" मेहता ने कहा कि नए आईटी नियमों का उद्देश्य उन्हीं मुद्दों को संबोधित करना है, जिनकी CJI ने चर्चा की है।
उन्होंने उल्लेख किया कि आईटी नियमों को विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष चुनौती दी गई है और केंद्र सरकार ने उन सभी को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के लिए एक याचिका दायर की है। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ से वर्तमान याचिकाओं के साथ स्थानांतरण याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।
पीठ में शामिल जस्टिस सूर्यकांत ने आईटी नियमों पर केंद्र की स्थानांतरण याचिकाओं को याचिकाओं के वर्तमान बैच के साथ सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की। याचिकाकर्ता को अपनी प्रार्थनाओं में संशोधन करने की छूट दी गई थी। मामले को 6 सप्ताह के बाद पोस्ट किया जाएगा।
याचिकाओं में एक प्रतिवादी न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ने पीठ को बताया कि केरल हाईकोर्ट ने उन्हें नए आईटी नियमों के तहत दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है।
CJI की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए, एक मामले में एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने पीठ को बताया कि ट्विटर ने उन्हें "डिप्लेटफॉर्म" किया है और उन्होंने अपने खाते के निलंबन को चुनौती देने वाला मामला दर्ज किया है।
(मामले: जमीयत उलमा-ए-हिंद बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और जुड़े मामले)।