Assam NRC | सुप्रीम कोर्ट ने सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए को चुनौती देने वाली याचिका पर की सुनवाई स्थगित

Shahadat

7 Nov 2023 5:09 AM GMT

  • Assam NRC | सुप्रीम कोर्ट ने सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6ए को चुनौती देने वाली याचिका पर की सुनवाई स्थगित

    सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम, 1955 (Citizenship Act) की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 5 दिसंबर, 2023 तक के लिए टाल दी। इन याचिकाओं पर पहले 7 नवंबर, 2023 को सुनवाई होनी थी।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत संघ की ओर से इस मामले में मोहलत की मांग की और कहा कि उन्हें इस संवैधानिक मामले की तैयारी के लिए और समय चाहिए, क्योंकि वह तीन दिन पहले ही एक अलग मामले में संविधान पीठ के सामने पेश हुए थे।

    एसजी इलेक्टरोल बॉन्ड योजना मामले का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 2 नवंबर, 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उल्लेखनीय है कि एसजी के साथ-साथ सीनियर वकील कपिल सिब्बल भी इस मामले में पेश हुए थे। इस प्रकार, सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने भी मामले को बाद में सूचीबद्ध करने के संघ के अनुरोध का समर्थन किया।

    एसजी ने यह भी कहा कि चूंकि यह दिवाली अवकाश से पहले आखिरी सप्ताह था, इसलिए बहुत सारे मामले सामने आने की उम्मीद है। इसलिए संविधान पीठ के मामले की सुनवाई बाद में की जानी चाहिए।

    सीजेआई ने संविधान पीठ के मामले को स्थगित करने और फिर से सूचीबद्ध करने में कठिनाई व्यक्त की, क्योंकि इसके लिए उन्हें संविधान पीठ को फिर से इकट्ठा करने और पूरे रोस्टर को फिर से व्यवस्थित करने की आवश्यकता होगी।

    उन्होंने टिप्पणी की,

    "सीबी को इकट्ठा करना बहुत मुश्किल है। सीबी को तोड़ना- वस्तुतः मैं पूरे रोस्टर को पुनर्व्यवस्थित कर रहा हूं। आप नई बेंचों के सामने मामलों का नया सेट नहीं रख सकते। उन्हें पढ़ना होगा... मैं सीबी को कैसे स्थगित कर सकता हूं ? आप इसका उल्लेख कर सकते हैं। सीबी एकत्रित होगी।"

    हालांकि, वकीलों के आग्रह पर सीजेआई अंततः मामले में सुनवाई टालने पर सहमत हो गए। मामले को अंततः 5 दिसंबर, 2023 के लिए सूचीबद्ध किया गया।

    सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान ने इस समय-सीमा पर कठिनाई व्यक्त की, लेकिन सीजेआई ने शेड्यूलिंग बाधाओं के बारे में बताया। एसजी मेहता ने यह भी उल्लेख किया कि ये 50 साल पुराने कानून थे और ऐसे में कोई तात्कालिकता नहीं है और मामले को कुछ हफ्तों के लिए टाला जा सकता है।

    गौरतलब है कि 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रारंभिक मुद्दा यह तय किया था- "क्या Citizenship Act की धारा 6ए किसी संवैधानिक कमजोरी से ग्रस्त है?"

    कोर्ट ने कहा कि इसमें मामले में उठे अन्य सभी मुद्दे भी शामिल हैं। बाद में अदालत ने कहा कि कार्यवाही का टाइटल "नागरिकता एक्ट, 1955 की धारा 6ए में" होगा।

    यह मामला असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 1985 में एक संशोधन के माध्यम से शामिल नागरिकता एक्ट की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता की चुनौती से संबंधित है। नागरिकता एक्ट की धारा 6ए असम समझौते के अंतर्गत आने वाले व्यक्तियों की नागरिकता पर विशेष प्रावधान है। यह प्रावधान करती है कि जो लोग 1 जनवरी, 1966 और 25 मार्च, 1971 के बीच भारत में आए और असम में रह रहे हैं, उन्हें खुद को भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत करने के लिए अनुमति दी जाएगी।

    गुवाहाटी स्थित नागरिक समाज संगठन, असम संमिलिता महासंघ ने 2012 में धारा 6ए को चुनौती दी थी। इसने तर्क दिया कि धारा 6ए भेदभावपूर्ण, मनमाना और अवैध है, क्योंकि यह असम में प्रवेश करने वाले अवैध प्रवासियों को नियमित करने के लिए शेष भारत से अलग-अलग कट-ऑफ तारीखें देती है।

    इसने अदालत से 1951 में तैयार एनआरसी में शामिल विवरणों के आधार पर असम राज्य के संबंध में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को अपडेट करने के लिए संबंधित प्राधिकारी को निर्देश देने की मांग की, न कि चुनावी को ध्यान में रखते हुए इसे अपडेट किया जाए। आख़िरकार, असम के अन्य संगठनों ने धारा 6ए की वैधता को चुनौती देते हुए याचिकाएँ दायर कीं।

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