अनुच्छेद 32 मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्राधिकार है, इसे राजस्व मामले की प्रक्रिया को टालने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता
LiveLaw News Network
24 Nov 2020 11:40 AM IST
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा, "अनुच्छेद 32 एक बहुत ही मूल्यवान क्षेत्राधिकार है। यह मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक सुरक्षा कवच है। इसका इस्तेमाल अन्य प्रक्रिया को टालने के लिए नहीं किया जा सकता।"
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की खंडपीठ सेंचुरी मेटल रिसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर उस रिट याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा आयातित अल्यूमिनियम स्क्रैप के मूल्यांकन को चुनौती दी गयी थी।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा,
"अनुच्छेद 32 इसके लिए नहीं बना है। जहां अनुच्छेद 136 के तहत अपील होती है, उसके लिए CESTAT के समक्ष मुकदमे का प्रावधान मौजूद है। इस तरह की शिकायत अनुच्छेद 32 के तहत नहीं की जा सकती।"
उन्होंने याचिका की सुनवाई से इनकार करते हुए टिप्पणी की, "यह अनुच्छेद 32 के क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल किये जाने योग्य मामला नहीं है।" उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि निर्धारित प्रक्रिया से बचने का यह अच्छा प्रयास है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता आर बालासुब्रमण्यम ने जोर देकर कहा,
"लेकिन करोड़ों रुपये मुकदमे पर खर्च किये जा रहे हैं। यह मेरे (याचिकाकर्ता के) लिए और सरकार, दोनों के लिए समय, पैसे और प्रयास की बर्बादी है।"
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की,
"राजस्व संबंधी मुकदमे में, जहां आयुक्त और अन्य अधिकारियों के समक्ष सैकड़ों मुकदमे लंबित हैं, सुप्रीम कोर्ट उनमें से प्रत्येक मुकदमे के तथ्यों की जांच नहीं कर सकता। यदि हम इस याचिका पर विचार करते हैं, तो हमें प्रत्येक मामले में इंट्री बिल आदि की तहकीकात करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट इस तरह से काम नहीं कर सकता।"
न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा, "ऐसे मुद्दे पर इस कोर्ट ने- संजीवनी (संजीवनी नन-फेरस ट्रेडिंग प्राइवेट लिमिटेड 2018) मामले में और हाल ही में एक मामले में आपकी ही याचिका पर (सेंचुरी मेटल रिसाइक्लिंग प्राइवेट लिमिटेड, 2019) निर्णय दिये हुए हैं ... सीमा शुल्क विभाग उन फैसलों से बंधा है।"