'सशस्त्र बल आपात स्थितियों से निपटने के लिए प्रशिक्षित; महिलाओं का प्रवेश रोका नहीं जा सकता': सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को एनडीए की परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के आदेश को रद्द करने से इनकार किया
LiveLaw News Network
22 Sept 2021 12:37 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को महिला उम्मीदवारों को नेशनल डिफेंस अकेडमी (एनडीए) की परीक्षाओं में बैठने की अनुमति देने के लिए पास अंतरिम आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने एनडीए को मौजूदा एंट्रेंस में महिलाओं को शामिल करने से छूट देने की रक्षा मंत्रालय की प्रार्थना ठुकरा दी है। मंत्रालय ने कहा था कि महिलाओं को शामिल करने की अनुमति देने के लिए कुछ बुनियादी ढांचे और पाठ्यक्रम में बदलाव की आवश्यकता है, और इसलिए महिलाओं को एनडीए एंट्रेस में भाग लेने की अनुमति देने के लिए मई 2022 तक का समय मांगा था।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश को स्थगित नहीं किया जा सकता है। पीठ ने याचिकाकर्ता कुश कालरा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट चिन्मय प्रदीप शर्मा की प्रस्तुतियों पर ध्यान दिया कि अगले वर्ष में एडमिशन के लिए एनडीए एक वर्ष दो परीक्षाएं आयोजित करता है। इसलिए, महिलाओं को 2022 की परीक्षा में शामिल होने की अनुमति देने का मतलब यह होगा कि एनडीए में उनका प्रवेश 2023 में होगा।
पीठ ने कहा कि वह महिलाओं को शामिल करने को एक साल के लिए टाल नहीं सकती है। पीठ ने कहा कि आपात स्थिति से निपटने के लिए सशस्त्र बल अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं, और इसलिए वे जल्द ही महिलाओं के प्रवेश की सुविधा के लिए त्वरित समाधान के साथ आने में सक्षम होंगे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि करिकुलम, बुनियादी ढांचे, फिटनेस ट्रेनिंग, आवास सुविधाओं आदि में बदलाव की जांच के लिए एक अध्ययन समूह का गठन किया गया है, जो कि महिलाओं के प्रवेश की सुविधा के लिए आवश्यक है, और इसे सुविधाजनक बनाने के लिए आवश्यक तंत्र मई 2022 तक तैयार हो जाएगा। इसलिए, उन्होंने महिलाओं को 14 नवंबर को आयोजित एनडीए प्रवेश परीक्षा से छूट देने की मांग की थी।
पीठ ने कहा कि अंतरिम आदेश के जरिए महिलाओं को उम्मीद देकर वह उन्हें निराश नहीं करना चाहती। जब एएसजी ने कहा कि अंतरिम आदेश बलों को "कड़ी स्थिति" में डाल देगा तो जस्टिस कौल ने कहा, "सशस्त्र बलों ने और अधिक कठिन परिस्थितियों से निपटा है, हमें यकीन है कि आप समाधान करने में सक्षम होंगे।"
यह बताए जाने पर कि परीक्षा के परिणाम आने में लगभग दो महीने लगेंगे, पीठ ने अगली सुनवाई जनवरी के तीसरे सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। पीठ ने रक्षा मंत्रालय से यह भी कहा कि यूपीएससी को अस्थायी मानदंड देकर सहयोग करें, ताकि बाद में कोर्ट के आदेश के अनुसार महिलाओं को नवंबर की परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के लिए एक शुद्धिपत्र अधिसूचना जारी की जा सके।
पीठ ने आज दिए आदेश में मंत्रालय के रुख पर कहा, "... हमने इस मामले पर विचार किया है, और सशस्त्र सेवाओं द्वारा व्यक्त की गई कठिनाइयों पर विचार किया है। सशस्त्र बलों को प्रस्तुत करने का प्रभावी अर्थ यह होगा कि "आज जाम नहीं कल जाम है"।
हमारे लिए उस स्थिति को स्वीकार करना मुश्किल होगा, आदेश के मद्देनजर महिलाओं की आकांक्षाएं पैदा हुई हैं, हालांकि यह याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन है।
सशस्त्र बलों ने सीमा और देश, दोनों में बहुत कठिन परिस्थितियों से निपटना है, आपात स्थिति से निपटना उनके प्रशिक्षण का हिस्सा है। हमें यकीन है कि..वे इस "आपातकाल" से निपट सकते हैं...
हम आदेश को रद करना चाहेंगे, लेकिन तरीके को लंबित रखेंगे।"
इस आदेश के बाद , मामले में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड मोहित पॉल ने प्रस्तुत किया कि यूपीएससी ने अभी तक शुद्धिपत्र अधिसूचना जारी नहीं की है। यूपीएससी के वकील नरेश कौशिक ने पीठ को बताया कि प्राधिकरण रक्षा मंत्रालय के कुछ निर्देशों का इंतजार कर रहा है।
पीठ ने निर्देश दिया कि रक्षा विभाग इस संबंध में यूपीएससी के सहयोग से आवश्यक कार्रवाई करे।
जस्टिस कौल ने मौखिक रूप से कहा, "यह संक्रमण का चरण है, हम संक्रमण को स्थगित नहीं करना चाहते हैं। यह परीक्षा सर्वोत्तम परिणाम नहीं दे सकती है। लेकिन हम भविष्य देख रहे हैं"
केस शीर्षक: कुश कालरा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य