"हाईकोर्ट जाएं" : प्रवासी मज़दूरों के लिए पश्चिम बंगाल मुख्यमंत्री राहत कोष का उपयोग करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा
LiveLaw News Network
20 May 2020 2:24 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल राज्य के सीएम राहत कोष के एक हिस्से का उपयोग फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों की भलाई के लिए करने के लिए शीर्ष अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की बेंच ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका के उद्देश्यों के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाए।
इस याचिका में पश्चिम बंगाल राज्य के लोगों को भी लॉकडाउन की अवधि के दौरान दिल्ली के निवासियों की तरह गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच मुहैया कराने की मांग की थी।
अधिवक्ता एमआर शमशाद की ओर से बंगाल मदरसा एजुकेशन फोरम ने यह याचिका दायर की थी।
याचिका में आगे यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश की मांग की गई थी कि निजी अस्पतालों और क्लीनिकों की ओपीडी को राज्य के भीतर सामाजिक दूरियों के मानदंडों को देखते हुए फिर से खोला जाए।
"लॉकडाउन की पूरी अवधि जिसे बढ़ाया गया है, इस दौरान यह देखा गया है कि पश्चिम बंगाल में ओपीडी विभाग और निजी क्लीनिक लॉकडाउन से मुक्त होने के बावजूद बंद रहे हैं या बमुश्किल काम कर रहे हैं।
COVID 19 के अलावा कैंसर, थैलेसीमिया, डाइटबिटीज, रीनल फेल्योर आदि के कारण जीवन के लिए खतरे की स्थिति वाले रोगियों को कठिनाई होती है।
.... इसके लिए पश्चिम बंगाल के रोगियों को मेडिकल सलाह और इलाज की आवश्यकता होती है जो नई दिल्ली में रोगियों के लिए उपलब्ध हैं। "
- याचिका के अंश
इसके अलावा, याचिका में कहा गया है कि घर वापस जाने के लिए प्रवासी श्रमिकों की यात्रा के लिए भुगतान करने के लिए पश्चिम बंगाल के सीएम के राहत कोष का उपयोग, इस तथ्य को देखते हुए कि वे लॉकडाउन की घोषणा के बाद से काफी पीड़ित हैं, प्रवासी श्रमिकों के सर्वोत्तम हित में होगा।
इस संबंध में दलील दी गई कि
"प्रवासी श्रमिकों के हित में होगा कि अपने घर लौट रहे श्रमिकों की यात्रा का भुगतान करने के लिए पश्चिम बंगाल राज्य को पश्चिम बंगाल सीएम रिलीफ फंड से राशि लेने का निर्देश जाए।"
इस याचिका में दिशा-निर्देशों के जारी करने के औचित्य के कई आधार बताए गए हैं, जिसमें प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु के कई उदाहरण शामिल हैं, जो अपने मूल निवास स्थानों पर घर वापस आ रहे हैं।