जमानत रद्द किये जाने के खिलाफ एसएलपी के साथ आत्मसमर्पण से छूट संबंधी अर्जी दाखिल करने की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

11 Jan 2022 6:03 AM GMT

  • जमानत रद्द किये जाने के खिलाफ एसएलपी के साथ आत्मसमर्पण से छूट संबंधी अर्जी दाखिल करने की आवश्यकता नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    "रजिस्ट्री के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के नियमों को बखूबी जानना चाहिए।"

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत आदेश को रद्द किये जाने के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिका के साथ आत्मसमर्पण से छूट की मांग करने वाली अर्जी दायर करने की आवश्यकता नहीं है।

    न्यायमूर्ति पामिडिघंटम श्री नरसिम्हा ने ऐसे ही एक मामले पर विचार करते हुए कहा कि छूट के लिए बड़ी संख्या में ऐसे आवेदन नियमित रूप से दायर किए जाते हैं जबकि इस तरह की प्रक्रिया को अपनाने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।

    न्यायाधीश ने कहा,

    "रजिस्ट्री के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के नियमों को अच्छी तरह जानना चाहिए। आदेश XXII नियम 5, केवल उन मामलों पर लागू होता है जहां याचिकाकर्ता को 'किसी अवधि के कारावास की सजा दी जाती है' और इसे जमानत रद्द करने के साधारण आदेशों के साथ भ्रमित नहीं किया जा सकता है।''

    रजिस्ट्रार (न्यायिक) को आदेश XX, नियम 3 और आदेश XXII, नियम 5 लागू होने वाले मामलों के संबंध में संबंधित फाइलिंग, स्क्रूटनी और नंबरिंग अनुभागों को औपचारिक दिशानिर्देश जारी करने को कहा गया है।

    इस मामले में याचिकाकर्ता को आईपीसी की धारा 420 के साथ पठित धारा 34 के तहत अपराध में गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट ने उसे एक राशि के भुगतान की शर्त पर जमानत दी थी। राशि का भुगतान करने में विफल रहने पर हाईकोर्ट ने जमानत देने के अपने आदेश को वापस ले लिया और याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

    उस आदेश को वापस लेने का एक आवेदन आक्षेपित आदेश द्वारा खारिज कर दिया गया। उक्त आदेश के विरुद्ध विशेष अनुमति याचिका दायर की गई थी। साथ ही सरेंडर करने से छूट की अर्जी भी दाखिल की गई थी।

    चैंबर जज ने छूट दी और आवेदन पर नोटिस जारी किया गया। 10.08.2021 को चैंबर न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को चार सप्ताह के भीतर शेष राशि का भुगतान करना होगा, यदि नहीं, तो न्यायालय के संदर्भ के बिना आत्मसमर्पण की अर्जी खारिज कर दी जाएगी। चूंकि राशि जमा नहीं की गई थी, इसलिए यह मान लिया गया था कि आवेदन न्यायालय के संदर्भ के बिना खारिज कर दिया गया है। इस प्रकार याचिकाकर्ता ने याचिका बहाली के लिए आवेदन दिया।

    इस बार, आवेदन पर न्यायमूर्ति नरसिम्हा ने विचार किया। न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछताछ की कि क्या आत्मसमर्पण से छूट की मांग करने की आवश्यकता है, जब आक्षेपित आदेश केवल जमानत रद्द करने का मामला है।

    न्यायाधीश ने कहा,

    "वह कहते हैं कि रजिस्ट्री आम तौर पर इस तरह के एक आवेदन दाखिल करने पर जोर देती है और उनके पास कोई विकल्प नहीं है। जब मैंने वकील को सूचित किया कि नियम केवल आपराधिक अपील या विशेष अनुमति याचिकाओं के लिए लागू होता है जहां याचिकाकर्ता को 'कारावास की सजा' दी जाती है, न कि जमानत रद्द करने के खिलाफ एसएलपी के लिए, कुछ वकीलों ने बार से बात की और कहा कि यही समझदारी होगी कि रजिस्ट्री के साथ बहस करने के बजाय इस तरह की अर्जी दाखिल की जाए। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।"

    एक अन्य वकील, अधिवक्ता आर. बसंत ने न्यायाधीश को ध्यान दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगातार आदेश पारित किए गए हैं कि आत्मसमर्पण के लिए आवेदन गलत तरीके से दायर किए गए थे और इस तरह के आवेदन दाखिल करने पर जोर देने की कोई आवश्यकता नहीं थी। ['कपूर सिंह बनाम हरियाणा सरकार 2021 एससीसी ऑनलाइन 586', 'दिलीप मजूमदार बनाम निकुंज दास एवं अन्य एसएलपी (सीआरएल) उप. No.6517/2020', 'विवेक राय बनाम झारखंड हाईकोर्ट (2015) 12 SCC 86, के.एम. नानावटी बनाम स्टेट ऑफ बम्बई एआईआर 1961 एससी 112 3 (पैरा 15)' और 'मयूरम सुब्रमण्यम श्रीनिवासन बनाम सीबीआई (2006) 5 एससीसी 752 (पैरा 16 से 18)']

    न्यायाधीश ने कहा,

    "यह सब तब हुआ जब कानून में आत्मसमर्पण करने से छूट प्राप्त करने का कोई आदेश नहीं है। अनुच्छेद 136 के तहत संवैधानिक उपाय याचिकाकर्ता को आत्मसमर्पण किए बिना उपलब्ध है, क्योंकि यह ऐसा मामला नहीं है जहां आरोपी को 'सजा' दी गयी है। जैसा कि यह ऐसा मामला नहीं है जहां आत्मसमर्पण की आवश्यकता है, ऐसी स्थिति में आत्मसमर्पण से छूट के लिए आवेदन दायर करने की कभी आवश्यकता थी ही नहीं।"

    इसलिए पीठ ने पहले के आदेश को वापस ले लिया और मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार करने और निपटारे के लिए नियमित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।

    केस का नाम: महावीर आर्य बनाम एनसीटी दिल्ली सरकार

    साइटेशन: 2022 लाइवलॉ (एससी) 30

    मामला संख्या और दिनांक: एसएलपी (सीआरएल) डायरी 8160/2021 | 7 जनवरी 2022

    कोरम: न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा

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