अग्रिम जमानत| व्यक्तिगत स्वतंत्रता महत्वपूर्ण, लेकिन अदालतों को अपराध की गंभीरता और समाज पर प्रभाव पर भी विचार करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
Avanish Pathak
8 July 2023 12:22 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अग्रिम जमानत आवेदनों को निस्तारित करते हुए अदालतों को अपराध की गंभीरता, समाज पर प्रभाव और निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता पर भी विचार करना चाहिए।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा, हालांकि किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा करना बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अपराध की गंभीरता का विश्लेषण करना और यह निर्धारित करना भी उतना ही जरूरी है कि हिरासत में पूछताछ की जरूरत है या नहीं।
इस मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने कुछ आरोपियों को जमानत दे दी थी, जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। उन पर करोड़ों रुपये की जमीन का स्वामित्व हस्तांतरित करने के लिए फर्जी दस्तावेज बनाने का आरोप था।
अपील में, शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं, और कहा,
अग्रिम जमानत की राहत का उद्देश्य व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करना है। हालांकि यह गिरफ्तारी की शक्ति के दुरुपयोग को रोकने और निर्दोष व्यक्तियों को उत्पीड़न से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में कार्य करता है, यह व्यक्तिगत अधिकारों और न्याय के हितों के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखने में चुनौतियां भी प्रस्तुत करता है। हमें व्यक्तिगत अधिकारों की सुरक्षा और सार्वजनिक हित की रक्षा के बीच संतुलन बनाने में ही चलना चाहिए। जबकि स्वतंत्रता का अधिकार और निर्दोषता का अनुमान महत्वपूर्ण है, अदालत को अपराध की गंभीरता, समाज पर प्रभाव और निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता पर भी विचार करना चाहिए। प्रत्येक व्यक्तिगत मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में इन हितों को तौलने में अदालत का विवेक उचित परिणाम सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हो जाता है।
अदालत ने यह भी कहा कि भूमि घोटालों के परिणामस्वरूप न केवल व्यक्तियों और निवेशकों को वित्तीय नुकसान होता है, बल्कि विकास परियोजनाएं भी बाधित होती हैं, जनता का विश्वास खत्म होता है और सामाजिक-आर्थिक प्रगति में बाधा आती है।
अदालत ने हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि मामले के तथ्य खुद बयां करते हैं और इस स्तर पर आपराधिकता के तत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन करने का भी निर्देश दिया, जिसका नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक स्तर से कम का न हो और दो निरीक्षक इसके सदस्य हों। अदालत ने कहा कि एसआईटी यथाशीघ्र और इस आदेश की तारीख से दो महीने के भीतर जांच पूरी करेगी।
केस डिटेलः प्रतिभा मनचंदा बनाम हरियाणा राज्य | 2023 लाइव लॉ (एससी) 514 | आईएनएससी 612/2023