Anna University Sexual Assault Case : सुप्रीम कोर्ट ने FIR लीक मामले में पुलिस के खिलाफ हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाई

Shahadat

27 Jan 2025 2:27 PM IST

  • Anna University Sexual Assault Case : सुप्रीम कोर्ट ने FIR लीक मामले में पुलिस के खिलाफ हाईकोर्ट के निर्देशों पर रोक लगाई

    सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के उस निर्देश पर रोक लगाई, जिसमें तमिलनाडु पुलिस को चेन्नई में अन्ना यूनिवर्सिटी कैंपस के अंदर सेकेंड ईयर की इंजीनियरिंग स्टूडेंट के यौन उत्पीड़न मामले में FIR लीक होने के संबंध में विभागीय जांच करने का निर्देश दिया गया था।

    जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने FIR लीक के संबंध में राज्य पुलिस के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणियों पर भी रोक लगा दी।

    हाईकोर्ट द्वारा की गई प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाने की मांग करने वाली राज्य की याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया गया।

    28 दिसंबर, 2024 को हाईकोर्ट ने आरोपों की जांच के लिए महिला आईपीएस अधिकारियों वाली विशेष जांच टीम (SIT) को निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस और यूनिवर्सिटी की ओर से चूक हुई। इसलिए वह SIT बनाने के लिए इच्छुक है।

    हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि FIR का विवरण लीक हो गया, जिसमें पीड़िता के व्यक्तिगत विवरण शामिल हैं। इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसकी जांच की जानी चाहिए।

    न्यायालय ने कहा कि FIR लीक होना पुलिस की ओर से एक गंभीर चूक थी, जिससे पीड़िता और उसके परिवार को आघात पहुंचा। हाईकोर्ट ने राज्य को पीड़ित लड़की को 25 लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसे उन लोगों से वसूला जा सकता है, जो कर्तव्य की उपेक्षा और एफआईआर लीक करने के लिए जिम्मेदार थे।

    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह कहते हुए कि SIT अपनी जांच जारी रखेगी, आदेश के पैराग्राफ 20, 21, 23 और 29(9) के संचालन पर रोक लगा दी, जो पुलिस अधिकारी पर चूक की जिम्मेदारी डालता है।

    पैराग्राफ 29(9) में विशेष रूप से कहा गया:

    "(9) प्रतिवादी 1 और 2 को FIR लीक होने के संबंध में विभागीय जांच करने और उन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया जाता है, जो सभी संबंधित सेवा नियमों के तहत चूक, लापरवाही और कर्तव्य की उपेक्षा के लिए जिम्मेदार और जवाबदेह हैं।"

    तमिलनाडु राज्य के लिए सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने स्पष्ट किया कि चूक के लिए पुलिस आयुक्त को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम (CCTNS) पर अपलोड की गई FIR ने व्यक्तिगत विवरण को ब्लॉक कर दिया था। हालांकि, तकनीकी गड़बड़ी के कारण और क्योंकि सिस्टम को पुराने आपराधिक कोड से नए में माइग्रेट करना पड़ा, इसके परिणामस्वरूप व्यक्तिगत विवरण लीक हो गए।

    रोहतगी ने बताया कि राज्य ने FIR के विवरण को ब्लॉक करने के लिए CCTNS को लिखा। उन्होंने आगे कहा कि FIR विवरण लीक करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई। इसके अलावा, लूथरा ने बताया कि वे सभी लिंक जिनके माध्यम से FIR को संभवतः डाउनलोड किया जा सकता था, ब्लॉक कर दिए गए और ब्लॉक किए जाते रहेंगे।

    बता दें कि राज्य ने स्पष्ट किया कि वह SIT के गठन का विरोध नहीं कर रहा है।

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि चाहे जो भी कारण हो, पीड़ित को "द्वितीयक आघात" पहुंचाया गया। लेकिन फिर भी न्यायालय ने आदेश के निम्नलिखित पैराग्राफ के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।

    केस टाइटल: तमिलनाडु सरकार और अन्य बनाम आर. वरलक्ष्मी और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 1027-1028/2025

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