सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन पर स‌क्रिय रूप से विचार हो रहा: अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

Avanish Pathak

6 April 2023 4:38 PM GMT

  • सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन पर स‌क्रिय रूप से विचार हो रहा: अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया

    केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि केंद्र सक्रिय रूप से दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में संशोधन पर विचार कर रहा है।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ इस आधार पर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 64 खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी कि उक्त धारा समन किए गए व्यक्ति की ओर से समन स्वीकार करने में असमर्थ परिवार की महिला सदस्यों के साथ भेदभाव करती है।

    सीआरपीसी की धारा 64 इस प्रकार है,

    "जहां समन किए गए व्यक्ति को उचित परिश्रम के बाद भी नहीं पाया जा सकता है, उसके परिवार के किसी वयस्क पुरुष सदस्य के साथ डुप्लिकेट में से एक को छोड़कर समन की तामील की जा सकती है।"

    आज की सुनवाई में, भारत के महान्यायवादी आर वेंकटरमणी ने शुरुआत में ही पीठ को सूचित किया कि सरकार आपराधिक कानूनों में संशोधन पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है।

    एजी ने कहा,

    "परामर्श हुआ है। वास्तव में, मैंने व्यक्तिगत रूप से सरकार से इसमें सक्रिय भूमिका निभाने के लिए कहा है। इसमें से कुछ देशद्रोह कानूनों से संबंधित हैं।"

    जब सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने पूछा कि इस मामले से राजद्रोह कानून का क्या लेना-देना है, तो एजी ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार सक्रिय रूप से पूरे सीआरपीसी और आईपीसी में संशोधन कर रही है। तदनुसार, उन्होंने पीठ से संसद के मानसून सत्र के बाद मामले को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया।

    हमें सूचित किया गया है कि सीआरपीसी और आईपीसी संशोधनों के लिए सक्रिय रूप से विचाराधीन हैं, पीठ ने आदेश में उल्लेख किया।

    मामला अब जुलाई 2023 में सूचीबद्ध किया गया है।

    गौरतलब हो कि मार्च 2020 में केंद्र सरकार ने आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में संशोधन के लिए सुझाव देने के लिए एक आपराधिक कानून सुधार समिति का गठन किया था। इस समिति की अध्यक्षता नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वीसी प्रोफेसर डॉ रणबीर सिंह ने की थी। दिल्ली और एनएलयू-डी के तत्कालीन रजिस्ट्रार प्रोफेसर डॉ जीएस बाजपेई, डीएनएलयू के वीसी प्रोफेसर डॉ बलराज चौहान, सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी और दिल्ली के पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी थरेजा शामिल थे।

    केस टाइटल: कुश कालरा बनाम यूओआई और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 958/2022

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