'सभी बड़े शहर झुग्गी बस्तियों में बदल गए हैं': सुप्रीम कोर्ट ने अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को कहा

LiveLaw News Network

17 Dec 2021 9:43 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सु्प्रीम कोर्ट ने रेलवे की संपत्ति पर बनी झुग्गियों के खिलाफ चलाए गए बेदखली अभियानों से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए शहरों में झुग्गी-झोपड़ियों की समस्या पर नाराजगी व्यक्त की है। शीर्ष न्यायालय ने अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आह्वान किया है।

    कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा है कि अतिक्रमणों के खिलाफ अधिकारियों का समय पर कार्रवाई नहीं करना ही समस्या की जड़ है।

    सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसका अध्यक्षता जस्टिस एएम खनविलकर कर रहे थे, ने कहा,

    "सभी प्रमुख शहर झुग्ग‌ियों में बदल गए हैं। किसी भी शहर को देखें, चंडीगढ़ अपवाद हो सकता है, हालांकि वहां भी समस्याएं हैं। यह हर जगह हो रहा है। आइए यथार्थ को समझें और सोचें कि समस्या को कैसे हल किया जा सकता है।"

    जस्टिस खानविलकर ने कहा कि पहली जिम्मेदारी स्थानीय प्राधिकरण की है।

    उन्होंने कहा,

    "स्थानीय शासन की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि अतिक्रमण न हो। स्‍थानीय सरकार को अपनी जिम्‍मेदारी स्वीकार करनी होगी। यह 75 वर्षों से चल रही दुखद कहानी है। हम अगले वर्ष आजादी के 75 वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं! निगमों को अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी लेने का समय आ गया है...यह दुखद कहानी है और अंततः करदाताओं का पैसा बर्बाद हो रहा है।"

    जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ गुजरात और पंजाब और हरियाणा उच्‍च न्यायलयों के फैसलों के खिलाफ दायर विशेष अनुमति याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसलों में रेलवे लाइनों के ‌किनारे अनधिकृत रूप से बसे लोगों को बेदखल करने की अनुमति दी थी।

    सुनवाई के दरमियन पीठ ने कहा कि रेलवे को अपनी जिम्मेदारी पर नहीं छोड़ा जा सकता। पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज के तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि बेदखल व्यक्तियों के पुनर्वास की जिम्मेदारी स्थानीय प्राधिकरण और राज्य सरकार की है।

    पीठ ने कहा कि विशेष रेलवे अधिनियम है, जिसके तहत रेलवे को अतक्रमण करने वालों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा, रेलवे अपनी संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक विशेष पुलिस बल रखता है।

    जस्टिस खानविलकर ने कहा , "रेलवे को भी जिम्मेदारी लेने दें।"

    जस्टिस खानविलकर ने एएसजी से पूछा,

    "आप अपनी संपत्ति को खाली कराना चाहते हैं। आप कार्रवाई करें। वह पुलिस बल कहां है? यदि आप अपनी संपत्ति की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो आप पुलिस बल पर क्यों खर्च कर रहे हैं?"

    जवाब में, एएसजी ने कहा,

    "हम अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं। मैं मानता हूं, हमारी ओर से चूक हुई है। हमने अब कार्रवाई की है।"

    एएसजी ने आश्वासन दिया कि रेलवे अतिक्रमणकारियों के खिलाफ पूरे भारत में सख्त कार्रवाई करेगा और कहा कि वह इस संबंध में उठाए गए कदमों को निर्दिष्ट करते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करेगा।

    पीठ ने कहा कि वह रेलवे के प्रदर्शन की समीक्षा करेगी।

    खंडपीठ ने रेलवे, स्थानीय सरकार और राज्य सरकार को संयुक्त रूप से उत्तरदायी ठहराया, ताकि बेदखल किए गए लोगों को 6 महीने के लिए प्रति माह 2000 रुपये प्रति माह का भुगतान करने की जिम्मेदारी दी जाए।

    कोर्ट ने अनुमति दी कि रेलवे झुग्गीवासियों को बेदखली नोटिस दे। सा‌थ ही बेदखल व्यक्तियों को अनुमति दी कि वो स्थानीय प्राधिकरण या प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत पुनर्वास का प्रयास करें।

    बेंच ने निर्देश दिया कि रेलवे को अनाधिकृत कब्जाधारियों के खिलाफ तुरंत आपराधिक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए। साथ ही अतिक्रमण करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

    शीर्षक: Utran Se Besthan Railway Jhopadpatti Vikas Mandal V. Government Of India| D No. 19714/2021

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