Air India Crash | प्रारंभिक जांच में पक्षपात का आरोप पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

Shahadat

19 Sept 2025 12:09 PM IST

  • Air India Crash | प्रारंभिक जांच में पक्षपात का आरोप पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

    एयर इंडिया (Air India) की उड़ान संख्या AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने की स्वतंत्र और अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई। इस दुर्घटना में 12 जून, 2025 को यात्रियों, चालक दल और ज़मीन पर मौजूद लोगों सहित 260 लोग मारे गए थे।

    कैप्टन अमित सिंह FRAeS के नेतृत्व वाले विमानन सुरक्षा NGO सेफ्टी मैटर्स फाउंडेशन द्वारा संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई इस याचिका में आरोप लगाया गया कि जिस तरह से जांच की गई, वह जीवन, समानता और सच्ची जानकारी के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है।

    याचिका के अनुसार, विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने 12 जुलाई, 2025 को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की। इसमें दुर्घटना का कारण "ईंधन कटऑफ स्विच" को RUN से CUTOFF में स्थानांतरित करना बताया गया, जिससे पायलट की गलती का संकेत मिलता है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि रिपोर्ट में महत्वपूर्ण उड़ान डेटा, जैसे कि संपूर्ण डिजिटल फ़्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) आउटपुट, टाइमस्टैम्प सहित पूर्ण कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR) ट्रांसक्रिप्ट और इलेक्ट्रॉनिक एयरक्राफ्ट फ़ॉल्ट रिकॉर्डिंग (EAFR) डेटा, उसको शामिल नहीं किया गया, जो सभी घटना की वस्तुनिष्ठ समझ के लिए आवश्यक हैं।

    याचिका में आगे तर्क दिया गया कि रिपोर्ट में ईंधन स्विच दोष, विद्युत दोष, RAT परिनियोजन और विद्युत गड़बड़ी सहित प्रलेखित प्रणाली विसंगतियों को कम करके आंका गया। साथ ही समय से पहले ही पायलट की गलती की ओर इशारा किया गया, जो शिकागो कन्वेंशन के अनुलग्नक 13 के विपरीत है, जिसमें एक स्वतंत्र और रोकथाम-केंद्रित जांच का प्रावधान है।

    याचिकाकर्ता ने यह देखते हुए हितों के टकराव की भी बात कही कि नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) के अधिकारी जांच दल पर हावी हैं, जबकि DGCA स्वयं नियामक निरीक्षण में चूक के लिए जांच के दायरे में है। तर्क दिया गया कि इस तरह का दृष्टिकोण विमानन सुरक्षा में जनता के विश्वास को कम करता है और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (ICAO) द्वारा निर्धारित मानकों के तहत भारत की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है।

    जनहित याचिका में कहा गया कि इतनी बड़ी आपदा में "चुनिंदा और पक्षपातपूर्ण" जांच नागरिकों के जीवन, सुरक्षा और सम्मान के अधिकार से समझौता करके संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करती है, मनमानी है और अनुच्छेद 14 के विपरीत है। साथ ही अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन करते हुए सत्य जानकारी को दबाती है। इसमें चेतावनी दी गई कि इन मुद्दों का समाधान न करने से प्रणालीगत जोखिमों का समाधान न होने से एक खतरनाक मिसाल कायम होती है, जिससे भविष्य के यात्रियों को खतरा हो सकता है।

    इसलिए याचिकाकर्ता ने दुर्घटना से संबंधित सभी बुनियादी तथ्यात्मक आंकड़ों, जिनमें DFDR, CVR और फॉल्ट मैसेज रिकॉर्ड शामिल हैं, उसको तत्काल सार्वजनिक करने और चल रही जांच की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में उपयुक्त योग्यता और प्रतिष्ठा वाले स्वतंत्र अन्वेषक की नियुक्ति के निर्देश देने की मांग की।

    यह याचिका AoR प्रणव सचदेवा के माध्यम से दायर की गई।

    Case: Safety Matters Foundation v. Union of India & Ors. | Diary No.: 53715 / 2025

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