AI वकीलों और जजों की मदद कर सकता है, उनकी जगह नहीं ले सकता: जस्टिस सूर्यकांत
Praveen Mishra
25 Oct 2025 3:50 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि तकनीक कानूनी प्रक्रियाओं में सहायक हो सकती है, लेकिन न्याय का मानव पहलू कभी नहीं बदला जा सकता। उन्होंने 29वें राष्ट्रीय विधिक सम्मेलन, श्रीलंका में मुख्य भाषण देते हुए कहा कि वकीलों और न्यायालयों का काम डेटा या एल्गोरिदम में नहीं, बल्कि विवेक और करुणा में निहित है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “AI साक्ष्य अध्ययन, ड्राफ्ट और असंगतियों को दिखा सकता है, लेकिन गवाह की आवाज़ में कांपना, याचिका में छिपी पीड़ा या निर्णय का नैतिक भार महसूस नहीं कर सकता। न्यायाधीश की समझ, वकील की तर्कशक्ति और पक्षकार की गरिमा — ये ऐसे तत्व हैं, जिन्हें मशीन दोहरा नहीं सकती।”
उन्होंने जोर दिया कि तकनीक मानव क्षमता को बढ़ाए, उसे बदलने के लिए नहीं। उन्होंने भारत के डिजिटल न्यायालय जैसे वर्चुअल हियरिंग, ई-फाइलिंग और ऑनलाइन डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन का उदाहरण दिया, जो न्याय तक पहुँच को आसान और पारदर्शी बनाते हैं।
जस्टिस सूर्यकांत ने AI पर अधिक निर्भरता से बचने और मानव निगरानी बनाए रखने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। साथ ही उन्होंने भारत और श्रीलंका में कानूनी तकनीक सहयोग के लिए साउथ एशियन लीगल टेक कंसोर्टियम बनाने का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने निष्कर्ष में कहा, “हमें तकनीक का मार्गदर्शन मानवता और नैतिक मूल्यों के साथ करना चाहिए, ताकि यह न्याय को मजबूत करे, न कि बदल दे।”

