सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बाद पश्चिम बंगाल SSC ने शिक्षक चयन मामले में उठाया यह कदम
Shahadat
1 Sept 2025 10:23 AM IST

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी चेतावनी के बाद पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (SSC) ने वचन दिया कि 2016 की भर्ती में 'नौकरी के बदले नकदी' घोटाले से संबंधित न्यायालय के पूर्व के फैसले में दागी पाए गए किसी भी उम्मीदवार को सितंबर में होने वाली नई भर्ती परीक्षाओं में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने 29 अगस्त को पारित अपने आदेश में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा दिए गए वचन को दर्ज किया।
इससे पहले, आयोग ने सात दिनों के भीतर दागी उम्मीदवारों की सूची प्रकाशित करने का वचन दिया, जो इस प्रकार है:
"पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट ने निर्देश दिया कि जिन दागी उम्मीदवारों का चयन हुआ था और जिनके चयन को उच्च न्यायालय ने रद्द किया और इस न्यायालय ने पुष्टि की है, उनकी सूची सात दिनों के भीतर सार्वजनिक डोमेन, यानी पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग की वेबसाइट पर डाल दी जाएगी।"
कक्षा IX और X (माध्यमिक) तथा कक्षा XI और XII (उच्चतर माध्यमिक) के शिक्षकों के चयन के लिए परीक्षाएं क्रमशः 07.09.2025 और 14.09.2025 को आयोजित होने वाली हैं।
'अगर दागी उम्मीदवारों का दोबारा चयन हुआ तो आपको कड़ी सजा भुगतनी होगी': अदालत ने चेतावनी दी
29 अगस्त को सुनवाई के दौरान, खंडपीठ ने राज्य को चेतावनी दी कि अगर कोई दागी उम्मीदवार चयनित पाया गया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
जस्टिस संजय कुमार ने WBSCC की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कल्याण बनर्जी से कहा,
"अगर कोई दागी उम्मीदवार दोबारा चयनित पाया गया तो आपको (राज्य को) कड़ी सजा भुगतनी होगी। आपके पास CBI द्वारा दी गई दागी उम्मीदवारों की सूची है। अगर आप उनमें से किसी भी उम्मीदवार को दोबारा परीक्षा देने की अनुमति दे रहे हैं तो आप हमसे यह ले लीजिए, हम आपको कड़ी सजा देंगे।"
जस्टिस कुमार ने पूछा कि SSC ने दागी उम्मीदवारों को परीक्षा देने की अनुमति मांगने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन क्यों दायर किया।
जस्टिस कुमार ने कहा,
"आप हाईकोर्ट जाकर ऐसी प्रार्थना क्यों करेंगे? आप ऐसा क्यों करेंगे? जब उनकी पहचान दागी उम्मीदवारों के रूप में हो ही गई तो आप हाईकोर्ट जाकर उन्हें परीक्षा में बैठने की अनुमति देने के लिए आवेदन क्यों करते हैं? इसका कोई औचित्य नहीं है, जब तक कि कोई मंत्री किसी उम्मीदवार का चयन नहीं चाहता।"
जस्टिस कुमार ने कहा कि न्यायालय इस प्रक्रिया पर "कड़ी नज़र" रख रहा है और चेतावनी दी,
"कृपया ध्यान रखें, अगर आप इस तरह की छेड़छाड़ दोबारा करेंगे तो हम ज़रूर हस्तक्षेप करेंगे। आप पहले ही लोगों का जीवन बर्बाद कर चुके हैं। लोग सड़कों पर हैं। आपकी इस गड़बड़ी के लिए हमें दोषी ठहराया जा रहा है। क्या यह उचित है? सरकार को एक आदर्श नागरिक होना चाहिए और आप यही कर रहे हैं। चयन प्रक्रिया इसलिए दागी, क्योंकि कोई मंत्री चाहता है कि उसका उम्मीदवार उसमें हो। भगवान जाने और क्या हुआ। लेकिन पूरी प्रक्रिया के लिए आप ज़िम्मेदार हैं। बोर्ड, सेवा आयोग और राज्य, सभी ज़िम्मेदार हैं।"
न्यायालय की इस तीखी प्रतिक्रिया के बाद आयोग ने विशिष्ट वचन दिया कि किसी भी दागी उम्मीदवार को परीक्षा में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
खंडपीठ ने वचन को इस प्रकार दर्ज किया:
"हम आयोग की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट के इस कथन को भी अभिलेख में दर्ज करते हैं कि किसी भी दागी उम्मीदवार को 07.09.2025 और 14.09.2025 को आयोजित होने वाली चयन परीक्षाओं में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई दागी उम्मीदवार जाल से बच निकलता है और परीक्षा(ओं) में बैठने में सफल हो जाता है तो आयोग द्वारा 25.08.2025 को जारी किया गया नोटिस, जिसमें कहा गया कि उम्मीदवारों की पात्रता/अपात्रता की परीक्षा परीक्षा के बाद के चरण में की जाएगी, ऐसे दागी उम्मीदवारों को छांटने में आयोग की सहायता करेगा, जो पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य बनाम बैशाखी भट्टाचार्य (चटर्जी) में इस न्यायालय द्वारा पारित निर्णय के अनुसार पूरी तरह से अयोग्य हैं।"
आयोग की ओर से उपस्थित सीनियर एडवोकेट द्वारा दिए गए बयान रिकॉर्ड में दर्ज किए गए हैं और आयोग के लिए बाध्यकारी होंगे।
न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को यह भी स्वतंत्रता दी कि यदि उन्हें किसी दागी उम्मीदवार के चयन परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र प्राप्त करने का पता चलता है तो वे आयोग या उसके एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड को पत्र लिख सकते हैं।
न्यायालय कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश के विरुद्ध दायर याचिकाओं पर विचार कर रहा था, जिसमें कहा गया कि RCI द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान से प्राप्त डिग्री या डिप्लोमा को चयन के लिए आवश्यक योग्यता नहीं माना जा सकता। यह याचिका संबंधित मामले बिबेक पारिया एवं अन्य बनाम पश्चिम बंगाल राज्य एवं अन्य डायरी संख्या 46049/2025 के साथ संलग्न है।
इस पर अगली सुनवाई 31 अक्टूबर, 2025 को होगी।
अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य बनाम बैशाखी भट्टाचार्य मामले में पश्चिम बंगाल विद्यालय चयन आयोग (SSC) द्वारा की गई लगभग 25,000 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को अमान्य करार देते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि की थी।
न्यायालय ने हाईकोर्ट के इस निष्कर्ष को स्वीकार कर लिया कि चयन प्रक्रिया धोखाधड़ी से दूषित थी और उसे सुधारा नहीं जा सकता। न्यायालय ने नियुक्तियों को तत्काल रद्द करने का हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रखा।
हालांकि, न्यायालय ने बेदाग उम्मीदवारों को भविष्य की चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति देकर उन्हें सीमित राहत प्रदान की। हाल ही में न्यायालय ने इस फैसले के खिलाफ राज्य द्वारा दायर पुनर्विचार याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि रद्द करना उचित था, क्योंकि "पूरी चयन प्रक्रिया से समझौता किया गया था।"
Case : Rehana Begum and others v The State of West Bengal and others |Diary No. 47466/2025

