युवा वकील के खिलाफ तल्‍ख टिप्पणी के बाद बीसीआई ने वापस लिया कारण-बताओ नोटिस

LiveLaw News Network

28 May 2020 3:30 AM GMT

  • युवा वकील के खिलाफ तल्‍ख टिप्पणी के बाद बीसीआई ने वापस लिया कारण-बताओ नोटिस

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने एडवोकेट सुहासिनी सेन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और कारण बताओ नोटिस जारी करने का रेजलूशन वापस ले लिया है।

    सुहासिनी सेन पर आरोप था कि वह toplawyersofsupremecourtofindia.com नाम से एक वेबसाइट चला रही है, जो बीसीआई के नियमों के ख‌िलाफ वकीलों के विज्ञापन में लिप्त है, जिसके बाद कारण बताओ नोटिस देने का प्रस्ताव दिया गया था। सेन के जवाब की जांच करने के बाद बीसीआई ने कहा कि वह सेन के जवाब से संतुष्ट है कि उन्हें इस तरह की वेबसाइट के बारे में नहीं पता था, या कि उस वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल दी गई है।

    बीसीआई ने 20 मई को एक प्रेस विज्ञप्ति के जर‌िए सेन के खिलाफ रेजलूशन प्रकाशित किया था, जिससे कानूनी बिरादरी के कई सदस्यों के को आश्चर्य हुआ था। बीसीआई की यह कार्रवाई आलोचना के घेरे में आ गई थी, क्योंकि बीसीआई की ओर से युवा अधिवक्ताओं के खिलाफ की गई तल्‍ख टिप्प‌‌ण‌ियों से पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस नहीं दिया गया था।

    बीसीआई अब यह स्पष्ट किया है कि सेन का जवाब उनके निर्दोष होने का पर्याप्त प्रमाण है। उनके स्पष्टीकरण को स्वीकार करते हुए, बीसीआई ने कहा कि सेना के खिलाफ जारी किए गए कारण बताओ नोटिस और प्रस्ताव को वापस लेने का फैसला किया गया है। बीसीआई ने सेन के 'सभ्य' आचरण पर भी ध्यान दिया है और उसे प्रशंसा के योग्य माना है।

    बीसीआई ने अपने जवाब में कहा है-

    "काउंसिल ने एडवोकेट सुश्री सुहासिनी सेन के जवाब और उससे जुड़े दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक जांच की है।

    सुश्री सुहासिनी सेन, ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उनका वेबसाइट के साथ कोई जुड़ाव नहीं है। उन्होंने यह भी कहा है कि उन्होंने श्री राहुल त्रिवेदी को एक नोटिस जारी किया है, कि उनका उस वेबसाइट या किसी अन्य वेबसाइट से हटा दिया जाए। (उक्त नोटिस की प्रति जवाब के साथ संलग्न है)।

    सुश्री सुहासिनी सेन, ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जर‌िए भी अपनी बेगुनाही स्पष्ट की है। उनकी भाषा बहुत ही सभ्य रही है और उसका आचरण सराहना का हकदार है।

    तदनुसार, परिषद ने इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार किया है और मामले को फिर से देखने के बाद एडवोकेट सुश्री सुहासिनी सेन के जवाब और स्पष्टीकरण और आधिकारिक रिपोर्ट को देखते हुए संतुष्ट हैं कि उन्हें ऐसी किसी भी वेबसाइट के बारे में पता नहीं था और न यह पता था कि इस तरह की वेबसाइट पर उनकी प्रोफाइल पोस्ट की गई है, जैसा कि उसके प्रोफाइल विवरण में प्रकाशित है, वह भी इंटरनेट पर उपलब्ध है। इस प्रकार, काउंसिल का विचार है कि सुश्री सुहासिनी सेन की वेबसाइट के निर्माण/प्रकाशन / प्रचार में कोई भूमिका नहीं है।"

    बीसीआई ने आगे स्पष्ट किया है कि बीसीआई द्वारा जारी किया गया कारण बताओ नोटिस कार्यवाही शुरू करने का प्रस्ताव केवल वकील राहुल त्रिवेदी के खिलाफ मान्य है।

    बीसीआई की पहले प्रेस विज्ञप्ति की हुई ‌थी आलोचना

    बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 20 मई को नियमों का उल्लंघन कर वकीलों के विज्ञापनों में लिप्त होने के के आरोप में एक वेबसाइट के खिलाफ एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। विवाद का विषय उक्त वेबसाइट थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न वकीलों को "प्रथम श्रेणी के वरिष्ठ एडवोकेट", "द्वितीय श्रेणी के वरिष्ठ एडवोकेट" और "तीसरी सूची (अच्छे जून‌ियर एडवोकेट)" के रूप में वर्गीकृत किया गया था।

    बीसीआई ने अपनी विज्ञप्‍ति में किसी भी सबूत या सामग्री की चर्चा किए बिना दो वकीलों- राहुल त्रिवेदी और सुहासिनी सेन को ‌चि‌न्‍हित किया था, जिन्होंने वेबसाइट का निर्माण किया था।

    प्रेस विज्ञप्ति में इस बात की कोई चर्चा नहीं थी कि इन दो नामों को बीसीआई ने कैसे चिन्‍हित किया था। बीसीआई ने कहा था कि इन वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी क्योंकि वेबसाइट वकीलों के अवैध विज्ञापनों में लिप्त है।

    जब लाइव लॉ ने सुहासिनी सेन से बात की तो उन्होंने बीसीआई प्रेस रिलीज के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की थी और कहा था कि उनका वेबसाइट से कोई संबंध नहीं था।

    "इस वेबसाइट को बनाने में मेरा कोई भूमिका नहीं है और न इससे कोई लेना-देना है। मुझे इस वेबसाइट के सबंध में न तो सूचित किया गया था और न इसे बनाने में मेरी सहमति ली गई थी। मैं कभी भी ऐसा कुछ नहीं करूंगी।"

    उन्होंने कहा, "वेबसाइट पर मेरे बारे में दी गई जानकारी और वहां लगी तस्वीर सार्वजनिक रूप से उपलब्‍ध है, जो 2012 में मुझे मिली एक छात्रवृत्ति से संबंध‌ित है। मुझे अभी तक बीसीआई का कारण बताओ नोटिस नहीं मिला है, लेकिन मैं मिलते ही जवाब दूंगी।"

    सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन ने वेबसाइट पर सूचीबद्ध कई अन्य नामों में से मात्र सेन का नाम चुनने के लिए, बीसीआई की आलोचना करते हुए कहा, "यह स्पष्ट नहीं है कि बार काउंसिल ने कैसे निष्कर्ष निकाला कि सुश्री सुहासिनी सेन का वेबसाइट से कोई लेना-देना है, और वेबसाइट पर उल्लिखित 24 नामों में से उन्हीं का नाम क्यों चुना गया।"

    शंकरनारायणन ने औपचारिक कारण बताओ नोटिस दिए बिना और उच‌ित जांच किए बिना करने से एक जूनियर वकील के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के बीसीआई के कृत्य की आलोचना की ‌थी।

    उन्होने कहा था, "सरसरी तौर पर देखने से पता चलता है कि वेबसाइट एक विशेष मोबाइल नंबर और पते पर पंजीकृत किया गया है, जो किसी भी तरह से सुहासिनी से जुड़ी हुई नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि बार काउंसिल ने एक प्रेरित शिकायत के आधार पर बिना किसी सबूत या प्राकृतिक न्याय के बुनियादी सिद्धांतों पर काम किया है और प्रेस विज्ञप्ति में डालने जैसा असामान्य कदम उठाया है, जिससे सार्वजनिक रूप से उन्हें बदनाम किया गया है। सामान्य प्रक्रिया यह होती कि एक निजी कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता और और प्रतिक्रिया मांगी जाती।"

    प्रेस विज्ञप्‍ति जारी करने के ‌लिए क्लिक करें



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