'आरोपी 5 साल से हिरासत में': भीमा कोरेगांव मामले में जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से कहा

Avanish Pathak

6 Feb 2023 1:20 PM GMT

  • आरोपी 5 साल से हिरासत में: भीमा कोरेगांव मामले में जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नेशनल इन्वेस्ट‌िगेशन एजेंसी (एनआईए) के अनुरोध पर भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार दो आरोपियों वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फरेरा की जमानत याचिकाओं की सुनवाई को नॉन मिस्लेनिअस डे (बुधवार) पर टाल दिया है।

    ज‌स्टिस अनिरुद्ध बोस और ज‌स्टिस सुधांशु धूलिया की खंडपीठ गोंजाल्विस और फरेरा की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। उन्हें 2018 में पुणे स्थित भीमा कोरेगांव में भड़की जाति-आधारित हिंसा के साथ कथित संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

    पिछली बार दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले को नॉन मिस्लेनिअस डे पर सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था।

    सोमवार को एडवोकेट कनु अग्रवाल ने बेंच को बताया कि एनआईए ने दोनों मामलों में अलग-अलग जवाबी हलफनामे दायर किए हैं, ज‌स्टिस धूलिया ने पूछा की, “हमने आपका जवाबी हलफनामा देखा है। जवाबी हलफनामे में क्या है?”

    अग्रवाल ने जवाब दिया कि अभियुक्तों ने प्रतिबंधित संगठन की गतिविधियों में सदस्यता और भागीदारी के जर‌िए गंभीर अपराध किए हैं।

    ज‌स्टिस बोस ने श्री अग्रवाल से पूछा, "आपको उनकी आवश्यकता क्यों है?"

    जस्टिस धूलिया ने आगे कहा, "वह 5 साल से जेल में है।"

    जस्टिस बोस ने इस बात पर चिंता जताई कि आरोपियों को पिछले 5 साल से हिरासत में रखा गया है। उन्होंने संकेत दिया कि ऐसी परिस्थितियों में, हालांकि एनआईए जमानत के लिए शर्तें सुझाने की स्थिति में होगी, लेकिन उन्हें सलाखों के पीछे रखना मुश्किल हो सकता है।

    "...अगर कोई 5 साल से हिरासत में है...आप जमानत के लिए शर्तें सुझा सकते हैं, लेकिन..."

    अग्रवाल के अनुरोध पर कि एएसजी एसवी राजू, जो एक अन्य पीठ के समक्ष उपस्थित थे, इस मामले में पीठ को संबोधित करने के लिए उपयुक्त होंगे, सुनवाई को बुधवार तक के लिए टाल दिया गया।

    सुनवाई के दरमियान, ज‌स्टिस धूलिया ने कहा कि दो आरोपियों में से एक के खिलाफ 30-40 मामले दर्ज हैं। वर्नोन गोंजाल्विस की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट रेबेका जॉन ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल को एक मामले को छोड़कर सभी मामलों में बरी कर दिया गया है। उन्होंने खंडपीठ को बताया कि वर्नोन ने सजा काट ली है और उसकी अपील नागपुर में बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष लंबित है।

    जस्टिस धूलिया ने कहा, "आपका मामला दूसरों से थोड़ा अलग है।"

    जनवरी 2018 की भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में कथित माओवादी लिंक को लेकर गिरफ्तार किए जाने के बाद याचिकाकर्ता 28 अगस्त, 2018 से हिरासत में हैं।

    उन्होंने दिसंबर 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने उन्हें डिफ़ॉल्ट जमानत से वंचित कर दिया, जबकि सह-आरोपी सुधा भारद्वाज को यह लाभ दिया गया था। मई 2022 में, हाईकोर्ट ने उनकी डिफ़ॉल्ट जमानत से इनकार करने के आदेश पर पुनर्विचार की की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

    ज‌स्टिस दत्ता उस समय बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे, हालांकि वह उस बेंच का हिस्सा नहीं थे, जिसने उनकी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इसलिए जब यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया तो जस्टिस दीपांकर दत्ता ने इसकी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

    मामले में अब तक तीन अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है- सुधा भारद्वाज (डिफ़ॉल्ट जमानत), आनंद तेलतुंबडे़ (योग्यता के आधार पर जमानत) और वरवर राव (चिकित्सा आधार पर जमानत)

    केस टाइटल: वर्नोन बनाम महाराष्ट्र राज्य, विशेष अनुमति याचिका (आपराधिक) संख्या 5423/2022


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