7/11 Mumbai Train Blasts Case : हाईकोर्ट के फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती
Shahadat
22 July 2025 11:22 AM IST

महाराष्ट्र राज्य ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसमें 2006 के 7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष इस मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। चीफ जस्टिस ने मामले को गुरुवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई।
सॉलिसिटर जनरल ने कहा,
"यह एक गंभीर मामला है...विशेष अनुमति याचिका तैयार है। कृपया इसे कल सूचीबद्ध करें...इसमें अत्यावश्यकता है।"
चीफ जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि उन्होंने अखबारों में पढ़ा है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद आठ आरोपियों को जेल से रिहा कर दिया गया।
सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया,
"अभी भी कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार किया जाना बाकी है।"
बता दें, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को स्पेशल मकोका कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया, जिसमें 11 जुलाई, 2006 को मुंबई के पश्चिमी रेलवे लोकल लाइन पर बम विस्फोटों की साजिश रचने और उन्हें अंजाम देने के आरोप में 5 आरोपियों को मौत की सज़ा और 7 आरोपियों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।
जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्याम चांडक की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों का अपराध सिद्ध करने में विफल रहा। इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते ने की थी।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपियों को ATS अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित किया गया था, जो अपराधियों को खोजने के दबाव में थे।
बम रखने के जुर्म में जहां दोषियों कमाल अंसारी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान को मौत की सजा सुनाई गई, वहीं अन्य दोषियों तनवीर अहमद मोहम्मद इब्राहिम अंसारी, मोहम्मद मजीद मोहम्मद शफी, शेख मोहम्मद अली आलम शेख, मोहम्मद साजिद मरगूब अंसारी, मुजम्मिल अताउर रहमान शेख, सुहैल महमूद शेख और जमीर अहमद लतीउर रहमान शेख को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

