सभी हाईकोर्ट में 371 रिक्तियां, 178 प्रस्ताव प्रक्रियाधीन: केंद्रीय कानून मंत्री

Shahadat

25 July 2025 7:31 PM IST

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    केंद्र सरकार ने हाल ही में खुलासा किया कि 18 जुलाई तक सभी हाईकोर्ट में 371 न्यायिक पद रिक्त हैं, जिनमें से 178 नियुक्ति प्रस्ताव सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच प्रक्रियाधीन हैं।

    हाईकोर्ट कॉलेजियम से 193 रिक्तियों के लिए सिफारिशें अभी प्राप्त होनी बाकी हैं।

    यह खुलासा तब हुआ, जब राज्यसभा सदस्य विवेक टी. तन्खा ने विधि एवं न्याय मंत्रालय के लिए निम्नलिखित अतारांकित प्रश्न उठाया था:

    क्या विधि एवं न्याय मंत्री यह बताने की कृपा करेंगे:

    (1) पिछले पाँच वर्षों में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्तियों के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गई कुल सिफारिशों की संख्या, वर्षवार।

    (2) स्वीकृत, अस्वीकृत और सरकार के पास अभी भी लंबित सिफारिशों की संख्या।

    (3) सरकार द्वारा प्रत्येक सिफारिश पर प्रतिक्रिया देने में औसतन कितना समय लगा और क्या देरी या अस्वीकृति के लिए कोई कारण बताए गए।

    (4) क्या सरकार ने किसी नाम को कई बार वापस किया है और यदि हाँ, तो ऐसे मामलों का ब्यौरा क्या है?

    इसका उत्तर देते हुए केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री ने 24 जुलाई को बताया:

    "18.07.2025 तक विभिन्न हाईकोर्ट में जजों के स्वीकृत 1122 पदों के सापेक्ष 751 जज कार्यरत हैं और जज के 371 पद रिक्त हैं। इन रिक्तियों के सापेक्ष, हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के 178 प्रस्ताव सरकार और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में हैं। 193 रिक्तियों के लिए सिफारिशें अभी हाईकोर्ट कॉलेजियम से प्राप्त होनी बाकी हैं।"

    मंत्री महोदय ने बताया कि हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 217 और 224 के अनुसार और "सुप्रीम कोर्ट के 6 अक्टूबर, 1993 के निर्णय (द्वितीय जज मामले) के अनुसरण में 1998 में तैयार किए गए प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) और 28 अक्टूबर, 1998 की उनकी सलाहकार राय (तृतीय जज मामले)" में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाती है।

    एमओपी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में न्यायिक नियुक्तियों की शुरुआत चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) द्वारा की जाती है, जबकि हाईकोर्ट में नियुक्तियों की शुरुआत संबंधित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट के दो सीनियर जजों के परामर्श से की जाती है।

    उत्तर के अनुसार, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा सिफारिशें करने की समय-सीमा रिक्ति होने से कम से कम 6 महीने पहले है।

    आगे कहा गया,

    "इस समय सीमा का पालन शायद ही कभी किया जाता है। हाईकोर्ट में नियुक्तियों के लिए संबंधित राज्य सरकार के विचार एमओपी के अनुसार प्राप्त किए जाते हैं। सिफारिशों पर विचाराधीन नामों के संबंध में सरकार को उपलब्ध अन्य रिपोर्टों के आलोक में भी विचार किया जाना चाहिए। हाईकोर्ट कॉलेजियम, राज्य सरकारों और भारत सरकार की सिफारिशें फिर सलाह के लिए सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (एससीसी) को भेजी जाती हैं।"

    इस बात पर ज़ोर देते हुए कि नियुक्ति प्रक्रिया में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच निरंतर परामर्श शामिल है, केंद्रीय मंत्री ने कहा:

    "उच्च न्यायपालिका में जजों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सतत, एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है। इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारियों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है। केवल वे व्यक्ति जिनके नाम एससीसी द्वारा अनुशंसित किए गए, उन्हें ही हाईकोर्ट के जज के रूप में नियुक्त किया जाता है।"

    "01.01.2020 से 18.07.2025 तक सुप्रीम कोर्ट में 35 जजों की नियुक्ति की गई और विभिन्न हाईकोर्ट में 554 जजों की नियुक्ति की गई। इसके अलावा, इसी अवधि के दौरान 349 नाम हाईकोर्ट को भेजे गए।"

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