सुप्रीम कोर्ट ने 2021 बंगाल चुनाव बाद हिंसा मामले में दुष्कर्म पीड़िता की गवाही में देरी पर ट्रायल कोर्ट से सवाल किए

Praveen Mishra

11 Sept 2025 10:15 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2021 बंगाल चुनाव बाद हिंसा मामले में दुष्कर्म पीड़िता की गवाही में देरी पर ट्रायल कोर्ट से सवाल किए

    सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को टिप्पणी की कि पश्चिम बंगाल की एक ट्रायल कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता की गवाही को अधूरा (टुकड़ों में) दर्ज करके अप्रत्यक्ष रूप से आरोपी को सबूतों से छेड़छाड़ करने का अवसर दिया है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट और लोक अभियोजक से यह स्पष्टीकरण मांगा कि जब आरोपी को एक साल पहले ही जमानत मिल चुकी थी, तो अब तक पीड़िता की गवाही पूरी क्यों नहीं हुई।

    यह मामला 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा से जुड़ा है।

    जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने आदेश दिया, "सीबीआई ने आरोपी को जमानत देने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है। जब हाईकोर्ट ने जमानत दी थी, आरोपी पहले से ही 3 साल 5 महीने से हिरासत में था। लगभग एक साल पहले उसे जमानत मिली थी। हमें बताया गया कि ट्रायल कोर्ट ने गवाहों की गवाही दर्ज करना शुरू कर दिया है। पीड़िता भी गवाह बॉक्स में आई है और उसकी मौखिक गवाही दर्ज हो रही है।

    अगली तारीख दिसंबर 2025 के लिए तय की गई है। हम समझ नहीं पा रहे कि जब गवाह, विशेषकर पीड़िता खुद गवाही देने पहुंच चुकी है, तो यह प्रक्रिया टुकड़ों में क्यों चल रही है? ट्रायल कोर्ट ने चार महीने बाद तारीख क्यों दी? ऐसा कर ट्रायल कोर्ट ने अनजाने में आरोपी को अभियोजन पक्ष के गवाहों से छेड़छाड़ करने का अवसर दे दिया है। यह चिंता का विषय है।"

    अदालत ने आदेश दिया कि ट्रायल कोर्ट की रिपोर्ट, अब तक की गवाही, पीड़िता की गवाही कब हुई और आगे की स्थिति का विवरण एक हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट को भेजा जाए। अदालत ने सीबीआई और विशेष रूप से लोक अभियोजक से भी जवाब मांगा कि अब तक गवाहों की पूरी गवाही क्यों नहीं हुई।

    इस मामले में सीबीआई ने आरोपी की जमानत रद्द करने की अर्जी दी थी, यह कहते हुए कि जमानत देते समय उसके खिलाफ दर्ज छह पुराने मामलों पर विचार नहीं किया गया। आरोपी को 24 सितंबर 2024 को जमानत मिली थी।

    सीबीआई की ओर से पेश हुई एडिसनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना देव पाठक ने शुरुआत में कहा कि गवाहों की गवाही हो रही है, लेकिन पीड़िता की गवाही अभी बाकी है। इस पर जस्टिस पारदीवाला ने पूछा:

    "धारा 376 के मामले में पीड़िता की गवाही सबसे आखिर में क्यों करवाई जा रही है? ऐसा करने का क्या तर्क है? लोक अभियोजन ने अब तक पीड़िता को गवाही के लिए क्यों नहीं बुलाया?"

    बाद में एएसजी ने बताया कि अब पीड़िता की गवाही शुरू हो चुकी है, लेकिन अगली तारीख दिसंबर की है। इस पर जस्टिस पारदीवाला ने नाराज़गी जताते हुए कहा:

    "यह क्या बेतुकी कार्यवाही हो रही है? कौन सा ट्रायल कोर्ट है यह? आरोपी को पूरा मौका दिया जा रहा है कि वह गवाहों से छेड़छाड़ करे।"

    एएसजी ने आगे कहा कि आरोपी जमानत मिलने के बाद फरार हो गया था और केवल सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैर-जमानती वारंट जारी करने के बाद ही सामने आया। उन्होंने यह भी बताया कि आरोपी ने पीड़िता और शिकायतकर्ता को धमकाया था, जिसकी शिकायत डीजीपी को करनी पड़ी।

    वहीं आरोपी की ओर से वकील ने दलील दी कि उसके खिलाफ दर्ज छह मामलों में से कुछ में उसे बरी कर दिया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि छह मामले दर्ज होना ही यह दर्शाता है कि उसकी अपराध करने की प्रवृत्ति है।

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