2008 बेंगलुरु बम ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल नज़र मदनी की जमानत शर्त में ढील दी, 8 जुलाई तक केरल में रहने की अनुमति

Avanish Pathak

17 April 2023 5:13 PM GMT

  • 2008 बेंगलुरु बम ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट ने अब्दुल नज़र मदनी की जमानत शर्त में ढील दी, 8 जुलाई तक केरल में रहने की अनुमति

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अध्यक्ष और 2008 के बेंगलुरु सीरियल बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल नजीर मदनी की जमानत शर्त में ढील देते हुए उन्हें 8 जुलाई, 2023 तक केरल में रहने की अनुमति दी।

    ज़मानत की शर्त के तहत उन्हें विस्फोट मामले की सुनवाई पूरी होने तक बेंगलुरू में रहना था।

    जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला त्रिवेदी की खंडपीठ ने आदेश में कहा,

    "आवेदक की चिकित्सा स्थिति और उसके बीमार माता-पिता, जो केरल में रह रहे हैं, को देखते हुए, एक अंतरिम उपाय के रूप में, हम यह आदेश देना उचित समझते हैं कि आवेदक को 8 जुलाई 2023 तक की अवधि के लिए कर्नाटक पुलिस एस्कॉर्ट के साथ अपने बीमार माता-पिता से मिलने और उसके बाद वापस लौटने की अनुमति दी जाए।"

    पीठ ने स्पष्ट किया कि मदनी को कर्नाटक पुलिस द्वारा प्रदान किए जाने वाले एस्कॉर्ट का खर्च वहन करना होगा।

    10 जुलाई को मामले को सूचीबद्ध करते हुए, अदालत ने कर्नाटक राज्य को फैसला सुनाए जाने की स्थिति में मदनी की उपस्थिति की मांग करने वाली एक अर्जी दायर करने की स्वतंत्रता भी दी।

    मदनी ने अपनी जमानत शर्तों में ढील देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिससे उन्हें केरल में अपने गृहनगर में रहने की अनुमति मिली। यह दूसरी बार है जब मदनी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष स्वास्थ्य और अन्य आधारों पर इस तरह का आवेदन दे रहे हैं। उनकी पहले की याचिका सितंबर 2021 में खारिज कर दी गई थी।

    मदनी की ओर से सीनयर एडवोकेट कपिल सिब्बल आज सुनवाई के लिए उपस्थित हुए।

    पीडीपी नेता पर 31 अन्य लोगों के साथ, 25 जुलाई, 2008 को बेंगलुरू में सिलसिलेवार बम विस्फोटों में उनकी कथित संलिप्तता के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और 20 घायल हो गए थे। मामले में लश्कर-ए-तैयबा के संचालक संदिग्ध टी नजीर द्वारा किए गए कुछ इकबालिया बयानों के आधार पर पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में उन्हें इकतीसवें अभियुक्त के रूप में नामित किया गया था। मामले में मदनी को घातक हमलों से जोड़ा गया था।

    पिछली सुनवाई के दौरान सिब्बल ने दलील दी थी कि सरकारी वकील ट्रायल कोर्ट के सामने तीन महीने से जिरह कर रहे हैं। सिब्बल ने यह भी स्पष्ट किया कि मदनी 8 साल से जमानत पर हैं और तब से उन्होंने अच्छा आचरण बनाए रखा है। बेंच ने तब इस मामले को आज उठाने पर सहमति जताई थी।

    केस टाइटल: अब्दुल नजीर मदनी बनाम कर्नाटक राज्य एमए 418-426/2023 एसएलपी (सीआरएल) नंबर 8084-92/2013 में

    आदेश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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