1993 ट्रेन विस्फोट मामला: सुप्रीम कोर्ट ने टाडा कोर्ट से आरोप तय करने में देरी का कारण बताने को कहा
LiveLaw News Network
1 Sept 2021 11:29 AM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विशेष जज, नामित न्यायालय, अजमेर, राजस्थान को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। रिपोर्ट में यह बताने का निर्देश दिया गया है कि 1993 में कई राजधानी एक्सप्रेस और अन्य ट्रेनों में सिलसिलेवार बम धमाकों के आरोपी हमीर उई उद्दीन के खिलाफ आरोप क्यों नहीं तय किया गए।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने विशेष जज को 1994 के टाडा विशेष मामले की स्थिति पर दो सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी निर्देश दिया।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, "विशेष जज, नामित न्यायालय, अजमेर, राजस्थान को इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर 1994 के टाडा विशेष मामला संख्या 6 की स्थिति पर एक रिपोर्ट इस न्यायालय को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है। रिपोर्ट यह स्पष्ट करेगी कि आरोप क्यों नहीं तय किए गए।"
इसके अलावा, रिपोर्ट को तेजी से जमा करने की सुविधा के लिए, शीर्ष न्यायालय ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) से आदेश की एक प्रति विशेष जज, नामित न्यायालय, अजमेर, राजस्थान को सीधे और साथ ही राजस्थान के उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) के माध्यम से भेजने का अनुरोध किया।
सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश 27 मार्च, 2019 को उद्दीन की दायर विशेष अनुमति याचिका पर जारी किए, जिसे उसने विशेष जज, अजमेर द्वारा अपनी जमानत की अस्वीकृति के बाद दायर किया था।
आरोपी हमीर उई उद्दीन की ओर से पेश अधिवक्ता शोएब आलम ने कहा कि उद्दीन को 18 मार्च 2010 को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उसके खिलाफ न तो आरोप तय किए गए थे और न ही मुकदमा शुरू किया गया।
राजस्थान राज्य ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि प्रारंभिक जांच के बाद, मामला 4 जनवरी, 1994 को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया था, जिसके बाद सीबीआई ने आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1987 की धारा 5 और 6, विस्पोटक अधिनियम, 1884 की धारा 4 ए, 4 बी और 9B और भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120 बी के तहत तहत FIR दर्ज की थी ।
राज्य ने यह भी प्रस्तुत किया था कि 25 अगस्त, 1994 को सीबीआई ने आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र प्रस्तुत किया था और वह 15 साल तक फरार रहा।
पृष्ठभूमि
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 5-6 दिसंबर, 1993 को राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में सिलसिलेवार बम विस्फोट हुए थे, जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी। कोटा, वलसाड, कानपुर, इलाहाबाद और मलका गिरी में पांच मामले दर्ज किए गए थे, बाद में उन्हें सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया और टाडा के तहत फिर से पंजीकृत किया गया।
जांच में पाया गया कि ये एक ही साजिश के परिणाम थे और सभी मामलों को एक साथ मिला दिया गया। हमीर उई उद्दीन 15 साल तक फरार रहा। आरोप पत्र में आरोप लगाया गया था कि वह उन आरोपियों में से एक था जो दिसंबर, 1993 में बम उपकरण और विस्फोटक पदार्थ कानपुर ले गया था।
हमीर उई उद्दीन को 18 मार्च, 2010 को गिरफ्तार किया गया था और उसके खिलाफ टाडा और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम और भारतीय रेलवे अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत 8000 पन्नों का आरोप पत्र दायर किया गया था।
केस का शीर्षक: हमीर उई उद्दीन @ हमिद @ हमिदुद्दीन बनाम राजस्थान राज्य
याचिकाकर्ता के वकील: एडवोकेट एम शोएब आलम और अबू बक्र सब्बाक और फारुख रशीद (एओआर)
प्रतिवादी के लिए वकील: एडवोकेट विशा मेघवाल और श्री मिलिंद कुमार, एओआर