हाईकोर्ट कॉलेजियम के 122 प्रस्ताव प्रोसेसिंग के विभिन्न चरणों में लंबित: कानून और न्याय मंत्रालय

Shahadat

8 Dec 2023 12:24 PM GMT

  • हाईकोर्ट कॉलेजियम के 122 प्रस्ताव प्रोसेसिंग के विभिन्न चरणों में लंबित: कानून और न्याय मंत्रालय

    कानून और न्याय मंत्रालय ने कहा कि 04.12.2023 तक जजों की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट कॉलेजियम से प्राप्त 122 प्रस्ताव प्रोसेसिंग के विभिन्न चरणों में हैं।

    कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालतों में रिक्तियों के संबंध में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से संबंधित राज्यसभा सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।

    केंद्रीय मंत्रालय ने कहा कि देश भर के हाईकोर्ट में जजों की 1114 स्वीकृत संख्या के मुकाबले 790 न्यायाधीश कार्यरत हैं और जजों के 324 पद रिक्त हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में 34 जज कार्यरत हैं और अभी कोई पद खाली नहीं है।

    'संवैधानिक न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सतत, एकीकृत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है। मंत्रालय ने कहा कि इसके लिए राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक अधिकारियों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता है।

    122 प्रस्तावों में से 87 प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (एससीसी) को सलाह लेने के लिए भेजे गए थे, जिसके खिलाफ एससीसी ने 45 प्रस्तावों पर सलाह दी है, जो सरकार में प्रोसेसिंग के विभिन्न चरणों में हैं। एससीसी के पास 42 प्रस्ताव विचाराधीन हैं। हाल ही में प्राप्त 35 नए प्रस्तावों पर एससीसी की सलाह लेने के लिए कार्रवाई की जा रही है। मंत्रालय ने कहा कि शेष 198 रिक्तियों के संबंध में हाईकोर्ट कॉलेजियम से सिफारिशें मिलनी बाकी हैं।

    मंत्रालय ने यह भी कहा कि कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नामों को ही सुप्रीम कोर्ट और सभी हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्त किया जाता है।

    कहा गया,

    "सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से मिले प्रस्तावों को सरकार द्वारा केवल उन मामलों में टिप्पणियों के साथ वापस भेजा जाता है, जहां अंतरिम में सिफारिशकर्ता के संबंध में कुछ नई जानकारी प्राप्त हुई है, या कुछ निश्चित मुद्दे या तथ्य हैं, जिन पर एससीसी द्वारा पुनर्विचार की आवश्यकता है। ऐसे मामले आवश्यक जानकारी के साथ एससीसी को वापस भेज दिया गया, जहां एससीसी ने कुछ अतिरिक्त जानकारी मांगी है, या कोई प्रश्न उठाया है। यह एक सतत और सहयोगात्मक प्रक्रिया है। सरकार अंततः केवल उन प्रस्तावों को सभी हाईकोर्ट को वापस भेजती है, जहां एससीसी ने सिफ़ारिशों को खारिज करने के लिए निर्णय लिया है। केवल उन्हीं व्यक्तियों को सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के रूप में नियुक्त किया जाता है, जिनके नामों की सिफारिश एससीसी द्वारा की गई है।

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