भारत में धार्मिक स्वतंत्रता का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा हैः अमेरिकी वॉचडॉग USCIRF ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा
LiveLaw News Network
29 April 2020 2:16 PM IST
धार्मिक मुद्दों पर अमेरिकी वॉचडॉग यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ( USCIRF) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति में '2019 में भारी गिरावट' पर चिंता प्रकट की है। बुधवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में संगठन ने भारत को "विशेष चिंता का देश" श्रेणी में रखा है।
2004 के बाद USCIRF पहली बार भारत को 'विशेष चिंता का देश' श्रेणी में रखा है। रिपोर्ट में भारत को बर्मा, चीन, इरिट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, सीरिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम के साथ रखा गया है।
"2019 में भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़ें हैं और धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति में तेजी से गिरावट आई।"
2020 की वार्षिक रिपोर्ट में USCIRF ने कहा है, " मई में दोबारा सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार संसदीय बहुमत का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी नीतियों तैयार करने में किया है, जिससे भारत भर में धार्मिक स्वतंत्रता , विशेष रूप से मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हुआ है। राष्ट्रीय सरकार ने अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों पर हमलों को जारी रहने दिया है, साथ ही हेट स्पीच और हिंसा में लिप्त रही है और ऐसा होने दिया है।"
उल्लेखनीय है कि यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम एक अमेरिका संघीय सरकार आयोग है, जिसे 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत गठित किया गया है। USCIRF आयुक्तों को राष्ट्रपति, सीनेट और प्रतिनिधि सभा में दोनों राजनीतिक दलों के नेतृत्व द्वारा नियुक्त किया जाता है।
आयोग ने रिपोर्ट नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 के पास करना, असम-एनआरसी की अंतिम सूची का प्रकाशन, असम में विदेशियों के न्यायाधिकरणों में कार्यवाही, राष्ट्रव्यापी नागरिक रजिस्टर लाने का प्रस्ताव, सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई, जम्मू और कश्मीर में लॉकडाउन गोरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा और फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों का जिक्र किया है।
रिपोर्ट में दिल्ली दंगों पर कहा गया है कि, "2019 में भेदभावपूर्ण नीतियों, भड़काऊ बयानबाजी, और राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर सरकार की चुप्पी से गैर-हिंदू समुदायों में भय का माहौल बढ़ा है। फरवरी 2020 में दिल्ली में तीन दिनों तक हिंसा होती रही, जिसमें भीड़ ने मुस्लिम मोहल्लों पर हमले किए। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम कर रही दिल्ली पुलिस के बारे में ऐसी रिपोर्टें थी, कि वह हमलों को रोकने में विफल रही और कई जगह हिंसा में शामिल रही। दंगों में कम से कम 50 लोग मारे गए।"
आयोग ने पाया कि 2019 में सरकार ने "धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ उत्पीड़न और हिंसा के राष्ट्रव्यापी अभियानों को छूट देने की संस्कृति बनाई।"
आयोग ने अमेरिकी सरकार को सिफारिश की है कि " भारत सरकार की उन एजेंसियों, अधिकारियों के खिलाफ लक्षित प्रतिबंध लगाए जाएं, जो धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के लिए जिम्मेदार रहे हैं, उनकी संपत्तियों को फ्रीज किया जाए और संयुक्त राज्य अमेरिका में उनके प्रवेश पर रोक लगाई जाए।
असहमति के स्वर
हालांकि USICRF के 10 आयुक्तों में से तीन, गैरी बाउर, जॉनी ली और तेनजिन दोरजे ने रिपोर्ट पर असहमति दर्ज की।
गैरी बाउर ने अपनी असहमति में लिखा है-
"भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति आश्वस्तकारी नहीं है। हालांकि भारत साम्यवादी चीन के समकक्ष नहीं है, जिसने सभी धर्मों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है; न उत्तर कोरिया के समकक्ष रखा जा सकता है, जो कि देश के धोखे में एक जेल है, न ही ईरान के समकक्ष रखा जा सकता है, जिसके इस्लामी चरमपंथी नेताओं नियमित रूप से एक दूसरे होलोकास्ट की धमकी देते रहते हैं।
भारत सरकार ने रिपोर्ट पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे "पक्षपातपूर्ण" करार दिया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "हम USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट में भारत के खिलाफ की गई टिप्पणियों को खारिज करते हैं। भारत के खिलाफ ऐसी पक्षपाती टिप्पणियां नई नहीं है। लेकिन इस बार ऐसी गलत बयानी काफी निचले स्तर तक पहुंच गई है।"