रिट कोर्ट को अनुच्छेद 12 के तहत स्वीकृत बकाया राशि जारी करने का निर्देश देने का अधिकार: कलकत्ता हाईकोर्ट

Shahadat

5 Sept 2025 10:49 AM IST

  • रिट कोर्ट को अनुच्छेद 12 के तहत स्वीकृत बकाया राशि जारी करने का निर्देश देने का अधिकार: कलकत्ता हाईकोर्ट

    कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अनिरुद्ध रॉय की पीठ ने कहा कि एक बार कार्य आदेश जारी हो जाने और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के अंतर्गत आने वाले प्राधिकरण की संतुष्टि के अनुसार कार्य पूरा हो जाने पर प्राधिकरण के लिए भुगतान जारी करना अनिवार्य हो जाता है। ऐसा न होने पर न्यायालय, संविधान के अनुच्छेद 227 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए याचिकाकर्ता के अधिकारों के उल्लंघन को रोकने के लिए प्राधिकरण को राशि जारी करने का निर्देश दे सकता है।

    याचिकाकर्ता को एक कार्य आदेश दिया गया, जो नगरपालिका की संतुष्टि के अनुसार पूरा किया गया, जैसा कि पूर्णता प्रमाण पत्रों से प्रमाणित होता है। कार्य पर कोई आपत्ति न जताने के बावजूद, केवल आंशिक भुगतान किया गया है, जिससे 22,90,039/- रुपये का बकाया दावा शेष रह गया।

    राज्य ने तर्क दिया कि धनराशि परियोजनावार नहीं, बल्कि विशेष नगरपालिका के लिए एकमुश्त स्वीकृत की जाती है। चूंकि आगे सरकारी अनुमोदन प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए धनराशि जारी नहीं की जा सकी।

    न्यायालय ने कहा कि प्राधिकरण की संतुष्टि के अनुसार कार्य पूरा हो जाने के बाद वह राशि जारी करने के लिए बाध्य है। 2018 में किया गया आंशिक भुगतान ऋण और देयता की स्वीकृति है। प्रतिवादी से शेष राशि जारी करने का अनुरोध स्वीकृत बकाया राशि की पुष्टि करता है। इसलिए न तो राज्य और न ही नगरपालिका शेष राशि के भुगतान से इनकार कर सकती है।

    अगला आदेश यह भी माना गया कि चूंकि स्वीकृत ऋण याचिकाकर्ता का बकाया है, इसलिए विधिक प्रक्रिया के बिना इसे रोकना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। जब अनुच्छेद 12 के अंतर्गत प्राधिकरण अपने दायित्वों का निर्वहन करने में विफल रहता है तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 227 के अंतर्गत न्यायालय को ऐसे प्राधिकरण को अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए बाध्य करने का अधिकार है ताकि याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन रोका जा सके।

    तदनुसार, याचिका का निपटारा कर दिया गया।

    Case Title: Amjad Hossain Vs. The State of West Bengal & Ors.

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