शिकायतों के बावजूद आरजी कर के पूर्व प्रिंसिपल की SIT जांच रेजिडेंट डॉक्टर की मौत के बाद ही क्यों शुरू की गई? कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा
Shahadat
22 Aug 2024 3:43 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को राज्य सरकार से पूछा कि आरजी कर कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की विशेष जांच टीम (SIT) जांच अस्पताल में कार्यरत रेजिडेंट डॉक्टर की बलात्कार-हत्या की घटना के बाद ही क्यों शुरू की गई।
जस्टिस राजर्षि भारद्वाज की एकल पीठ आरजी कर के पूर्व उप अधीक्षक अख्तर अली की याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें घोष पर शवों के कुप्रबंधन, धन के दुरुपयोग और खुले बाजार में बायोमेडिकल अपशिष्ट बेचने आदि का आरोप लगाया गया था।
याचिका पर विचार करते हुए न्यायालय इस प्राथमिक प्रश्न पर पहुंचा कि बलात्कार-हत्या की घटना 9 अगस्त को सामने आने के बाद 16 अगस्त को घोष के खिलाफ SIT का गठन क्यों किया गया, जबकि घोष के खिलाफ राज्य अधिकारियों के समक्ष कई शिकायतें दर्ज की गईं।
अली ने तर्क दिया कि घोष राज्य प्रशासन में संपर्क रखने वाला बहुत शक्तिशाली व्यक्ति है। अपने कार्यों के लिए किसी भी परिणाम से बचने के लिए अपने संपर्कों का उपयोग करेगा।
यह प्रस्तुत किया गया कि घोष के खिलाफ आवाज उठाने वाले किसी भी व्यक्ति को दरकिनार कर दिया जाता है। इस प्रकार वह हमेशा बेदाग बच निकलता है।
राज्य के वकील ने प्रस्तुत किया कि चूंकि अली ने वर्तमान याचिका में पुलिस की निष्क्रियता का दावा किया। इसलिए पुलिस के समक्ष उसकी शिकायत केवल 20 अगस्त को दर्ज की गई और 21 अगस्त को पुष्टि की गई।
राज्य के वकील ने सवाल किया कि क्या अली द्वारा पुलिस द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के केवल एक दिन बाद अदालत का दरवाजा खटखटाना उचित था, बिना उन्हें इस पर कार्रवाई करने के लिए कोई समय दिए।
तर्कों की सुनवाई करते हुए अदालत ने अली के वकील को जवाब दाखिल करने के लिए समय देने पर मामले को कल आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया।
केस टाइटल: अख्तर अली बनाम पश्चिम बंगाल राज्य