कलकत्ता हाईकोर्ट ने गर्भवती महिला की 'Contaminated Saline' के कारण हुई मौत पर मुआवजा देने का आदेश दिया

Shahadat

16 Jan 2025 6:59 AM

  • कलकत्ता हाईकोर्ट ने गर्भवती महिला की Contaminated Saline के कारण हुई मौत पर मुआवजा देने का आदेश दिया

    कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य को गर्भवती महिला के परिवार को मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिसकी सरकारी अस्पताल में कथित रूप से दूषित सलाइन (Contaminated Saline) दिए जाने के कारण मृत्यु हो गई थी। कथित तौर पर चार अन्य गर्भवती महिलाओं को भी यही घोल दिए जाने के बाद गहन देखभाल में रखा गया था।

    चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने उक्त टिप्पणियां कीं, जो अस्पताल में कथित रूप से दूषित सलाइन दिए जाने के कारण हुई गर्भवती महिला की मौत की जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

    याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि 22 मार्च 2024 को कर्नाटक सरकार ने दूषित सलाइन देने वाली कंपनी को चिह्नित किया था और पश्चिम बंगाल सरकार को सूचित करते हुए तीन साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया।

    वकील ने कहा कि सूचना के बावजूद, दूषित सलाइन की आपूर्ति जारी रही और तब तक इसका पता नहीं चला जब तक कि एक गर्भवती महिला को घातक परिणामों के साथ उक्त सलाइन नहीं दी गई।

    वकील ने अदालत को बताया कि इस मुद्दे को 2015 में ही उठाया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और शिकायतों को दबा दिया गया।

    यह कहा गया कि राज्य सरकार ने कहा कि जनवरी 2025 में सलाइन का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, लेकिन इसका इस्तेमाल जारी रहा।

    अदालत ने इस तथ्य पर आपत्ति जताई कि सिलीगुड़ी में स्वास्थ्य विभाग द्वारा 2024 में आदेश जारी किए जाने के बाद भी उक्त दवाओं को काली सूची में डाल दिया गया, लेकिन उन्हें वापस नहीं लिया गया और उनका इस्तेमाल जारी रहा।

    एडवोकेट जनरल ने अदालत को बताया कि हालांकि घोल की सभी बोतलों का टेस्ट स्वतंत्र सुविधा में किया जा रहा था, लेकिन तीन बैच ऐसे थे जो दूषित हो सकते थे और सटीक बोतलों का पता लगाने के प्रयास जारी थे। यह कहा गया कि सलाइन का पूरे भारत में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था और पश्चिम बंगाल में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी थी।

    यह भी कहा गया कि मेडिकल लापरवाही पर ललिता कुमारी के दिशा-निर्देशों के अनुसार CID ​​द्वारा घटना की जांच की जा रही थी।

    तदनुसार, न्यायालय ने राज्य को पीड़ित के परिवार को मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया तथा स्वास्थ्य विभाग से घटना की समय-सीमा तथा दवा दिए जाने वालों के नामों के संबंध में व्यापक रिपोर्ट मांगी।

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