सीजे ऑफिस को धमकाने का प्रयास: कलकत्ता हाईकोर्ट ने जज की लिस्ट में संशोधन की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज की, 50 हजार का जुर्माना लगाया
Amir Ahmad
28 Aug 2024 12:50 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने हितों के टकराव के आरोपों के कारण जज की सूची में संशोधन की मांग करने वाली जनहित याचिका 50,000 रुपये के अनुकरणीय जुर्माने के साथ खारिज की।
न्यायालय ने कलकत्ता हाईकोर्ट अपीलीय पक्ष नियमों का हवाला देते हुए वादी को फिर कभी जनहित याचिका दायर करने से भी रोक दिया।
याचिकाकर्ता एडवोकेट संजय दास ने पुलिस निष्क्रियता के मामलों की सुनवाई कर रही जस्टिस अमृता सिन्हा की पीठ के निर्णय को बदलने की मांग की यह दावा करते हुए कि चूंकि पश्चिम बंगाल सीआईडी न्यायमूर्ति सिन्हा के पति की जांच कर रही थी, क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर जांच को प्रभावित करने के लिए अपनी पत्नी के कार्यालय का इस्तेमाल किया था। इसलिए पुलिस मामलों पर उनके निर्णय से न्यायिक प्रणाली में जनता का विश्वास नहीं बढ़ेगा।
इस याचिका को चीफ जज के कार्यालय को डराने का प्रयास बताते हुए खारिज करते हुए चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा,
"यह निर्णायक रूप से माना गया कि निर्णय को अंतिम रूप देने में चीफ जस्टिस के अधिकार को याचिकाकर्ता और विशेष रूप से इस न्यायालय के समक्ष प्रैक्टिस करने वाले वकील द्वारा छेड़छाड़ नहीं किया जा सकता। कानूनी प्रावधानों को देखने की सलाह अनसुनी कर दी गई। इसलिए यह रिट याचिका प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग है। संभवतः न्यायालय को डराने और चीफ जस्टिस के अधिकार क्षेत्र में सीधे हस्तक्षेप करने का प्रयास है।"
न्यायालय ने रिट याचिकाकर्ता के जनहितैषी व्यक्ति होने के दावों पर आपत्ति जताते हुए उससे पूछा कि उसने समाज के लिए क्या योगदान दिया लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं दिया।
आदेश देते समय पीठ ने इस तथ्य पर कड़ी आपत्ति जताई कि रिट याचिकाकर्ता ने न्यायालय द्वारा कई बार हस्तक्षेप किए जाने के बावजूद अपनी याचिका पर जोर दिया तथा उससे पूछा कि क्या जज के निर्धारण पर निर्णय लेने के चीफ जस्टिस के अधिकार को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को चुनौती दी जा सकती है।
इस प्रकार यह मानते हुए कि रिट याचिका में कोई दम नहीं है। यह धमकाने का प्रयास है तथा तुच्छ है। पीठ ने इसे खारिज कर दिया तथा जुर्माना भी लगाया।
इसने आगे अपीलीय पक्ष के नियमों का हवाला देते हुए वादी संजय दास को फिर कभी जनहित याचिका दायर करने से रोक दिया।
दिलचस्प बात यह है कि कॉज लिस्ट में अगला मामला, जिसे उसी वादी ने भाजपा द्वारा बुलाए गए 12 घंटे के बंद को चुनौती देते हुए दायर किया था, उसको भी वर्तमान आदेश के आधार पर गैर-रखरखाव योग्य करार दिया गया।
केस टाइटल- संजय दास बनाम रजिस्ट्रार जनरल, कलकत्ता हाईकोर्ट