केवल व्यभिचार के आरोप के आधार पर पत्नी को पति की फैमिली पेंशन में अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

27 Sept 2025 10:53 AM IST

  • केवल व्यभिचार के आरोप के आधार पर पत्नी को पति की फैमिली पेंशन में अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में शुक्रवार को कहा कि किसी महिला पर केवल "व्यभिचार" का आरोप लगाने मात्र से उसे महाराष्ट्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1982 (MCSR) के तहत अपने मृत पति की फैमिली पेंशन में अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

    इसलिए जस्टिस मनीष पिताले और जस्टिस यशवराज खोबरागड़े की खंडपीठ ने एक मृत व्यक्ति के भाई और माँ को कोई राहत देने से इनकार किया, जो अपनी पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाने के बाद उससे अलग रह रहा था।

    जजों ने कहा कि MCSR के अनुसार, "भाई और माँ" जैसे रिश्ते "परिवार के सदस्यों" की परिभाषा में शामिल नहीं हैं।

    खंडपीठ ने प्रतिवादियों (मृतक कर्मचारी के भाई और माता) के इस तर्क पर गौर किया कि चूंकि मृत कर्मचारी ने अपनी पत्नी, यानी याचिकाकर्ता के विरुद्ध व्यभिचार का आरोप लगाया, इसलिए उसे परिवार की परिभाषा में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।

    जजों ने अपने आदेश में कहा,

    "MCSR प्रावधानों का उचित अध्ययन दर्शाता है कि याचिकाकर्ता पत्नी को लाभ से तभी वंचित किया जा सकता है, जब वह व्यभिचार के आधार पर मृतक कर्मचारी, यानी अपने पति से न्यायिक रूप से अलग हो गई हो या उसे व्यभिचार करने का दोषी ठहराया गया हो। वर्तमान मामले के तथ्य दर्शाते हैं कि लंबित वैवाहिक कार्यवाही में याचिकाकर्ता पत्नी के विरुद्ध केवल एक आरोप लगाया गया। हालांकि, कार्यवाही के अंतिम चरण तक पहुंचने से पहले ही कर्मचारी, यानी याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु हो गई और उसके विरुद्ध लगाए गए व्यभिचार के आरोप के संबंध में किसी भी सक्षम न्यायिक प्राधिकारी का कोई निष्कर्ष नहीं है।"

    जजों ने 29 सितंबर, 2018, 31 मार्च, 2023 और 24 अगस्त, 2023 को जारी सरकारी प्रस्तावों पर भी विचार किया, जिनके अनुसार केवल कर्मचारी ही अपने जीवनकाल में फैमिली पेंशन का हकदार है। उसकी मृत्यु के बाद केवल परिवार के सदस्य (पति/पत्नी और बच्चे) ही इसके हकदार हैं।

    तथ्यों के अनुसार, मृतक को 8 जुलाई, 2009 को नियमित आधार पर एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया। वह 1997 से याचिकाकर्ता से विवाहित हैं। चूंकि मृतक की नियुक्ति 1 नवंबर, 2005 के बाद हुई, इसलिए 31 अक्टूबर, 2005 के सरकारी प्रस्ताव के अनुसार, वह परिभाषित अंशदायी पेंशन योजना (DCPS) के अंतर्गत आते है।

    हालांकि, समय के साथ दंपति ने अलग होने का फैसला किया और 15 जनवरी, 2011 को पति ने याचिकाकर्ता के खिलाफ तलाक की कार्यवाही दायर की। इसके बाद मृतक ने फैमिली पेंशन के लिए नामांकित व्यक्तियों का विवरण बदल दिया और याचिकाकर्ता का नाम अपने भाई और माँ के नाम से बदल दिया। हालांकि, उन्होंने अपने दोनों बेटों के नाम बरकरार रखे।

    नामांकित व्यक्तियों के इस परिवर्तन पर भाई और माँ ने पत्नी द्वारा दायर याचिका का विरोध किया और उसका समर्थन किया। हालांकि, जजों ने माना कि भाई और माँ ने कुछ सामान्य पेंशन नियमों (जीआर) को MCSR के साथ पढ़े बिना ही उन पर गलत तरीके से भरोसा किया।

    इसलिए खंडपीठ ने महिला की याचिका स्वीकार की और अधिकारियों को उसे और उसके दोनों बेटों को फैमिली पेंशन राशि वितरित करने का आदेश दिया।

    Case Title: VVB vs State of Maharashtra (Writ Petition 11613 of 2019)

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