Rent Control Act | बेदखली के मुकदमों में लाइसेंसधारी लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट के विपरीत सबूत पेश नहीं कर सकता, भले ही वह अलिखित हो: बॉम्बे हाईकोर्ट

Avanish Pathak

21 May 2025 12:09 PM IST

  • Rent Control Act | बेदखली के मुकदमों में लाइसेंसधारी लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट के विपरीत सबूत पेश नहीं कर सकता, भले ही वह अलिखित हो: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने हाल ही में महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट, 1999 की धारा 43(4) के साथ धारा 24 (बी) के दायरे को स्पष्ट किया।

    जस्टिस माधव जे जामदार की पीठ ने कहा,

    “महाराष्ट्र रेंट एक्ट की धारा 24 के स्पष्टीकरण के खंड (बी) के तहत अनुमान केवल तभी लागू होता है जब निवास के लिए लाइसेंस पर दिए गए परिसर से संबंधित बेदखली के लिए आवेदन दायर किया जाता है। अन्य कार्यवाहियों में, उक्त अनुमान लागू नहीं हो सकता है। इसलिए, आवासीय उपयोग के लिए दिए गए परिसर के संबंध में अनुमति और लाइसेंस के लिखित समझौते के गैर-पंजीकरण के बावजूद, जब महाराष्ट्र रेंट एक्ट की धारा 24 के तहत आवेदन किया जाता है तो उक्त खंड (बी) ऐसे समझौते पर लागू होगा और लाइसेंसधारी के लिए उक्त समझौते में दिए गए नियमों और शर्तों के विपरीत कोई सबूत पेश करना खुला नहीं होगा।”

    याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया कि महाराष्ट्र रेंट कंट्रोल एक्ट, 1999 की धारा 24 के स्पष्टीकरण (बी) के मद्देनजर लिखित लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट की शर्तों के विपरीत कोई अन्य साक्ष्य पेश नहीं किया जा सकता है और उक्त शर्तें उसमें बताए गए तथ्यों के आधार पर निर्णायक हैं।

    प्रतिवादी ने प्रस्तुत किया कि वह 2011 से परिसर के कब्जे में हैं। अंतिम लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट 16 जून 2018 को निष्पादित किया गया था और 15 जून 2020 को समय बीतने के साथ ही समाप्त हो गया। उन्होंने कहा कि आवेदन 9 नवंबर 2023 को दायर किया गया है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट की उक्त अवधि समाप्त होने के बाद, याचिकाकर्ता और प्रतिवादियों के बीच लाइसेंसकर्ता और लाइसेंसधारियों का संबंध नहीं रह जाता है और इसलिए आवेदन स्वीकार्य नहीं है।

    प्रथम मुद्दे पर विचार करते हुए पीठ ने पाया कि कई निर्णयों में बॉम्बे रेंट्स, होटल्स एंड लॉजिंग हाउस रेट्स कंट्रोल एक्ट, 1947 की धारा 13ए(2) के तहत योजना पर विचार किया गया है, जो महाराष्ट्र रेंट एक्ट के अध्याय VIII के साथ धारा 24 के समान है।

    दूसरे मुद्दे के संबंध में पीठ ने पाया कि लाइसेंसकर्ता द्वारा लाइसेंसधारी के विरुद्ध धारा 24 के तहत दायर कार्यवाही में अनुमति आवेदन पर विचार करते समय, महाराष्ट्र रेंट एक्ट की धारा 24 की उपधारा 3 के स्पष्टीकरण (बी) के तहत साक्ष्य के विशेष नियम पर विचार किया जाना आवश्यक है और यह लागू होगा।

    कोर्ट ने कहा,

    “लाइसेंसकर्ता केवल उन तर्कों को उठा सकता है, यहां तक ​​कि अनुमति प्राप्त करने के लिए भी, जो साक्ष्य के उक्त विशेष नियम अर्थात महाराष्ट्र रेंट एक्ट की धारा 24 की उपधारा 3 के स्पष्टीकरण (बी) द्वारा अनुमत हैं, जो यह प्रावधान करता है कि लिखित रूप में लाइसेंस का समझौता उसमें वर्णित तथ्य का निर्णायक साक्ष्य होगा। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि यह उस मामले पर लागू नहीं होगा जहां लाइसेंसधारक का दावा है कि विचाराधीन समझौता धोखाधड़ी के रूप में अस्तित्व में लाया गया है। हालांकि, उस मामले में, सक्षम प्राधिकारी द्वारा प्रथम दृष्टया यह निर्णय लिया जाना आवश्यक है कि उक्त बचाव नकली बचाव नहीं है।”

    पीठ ने पाया कि लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट की अवधि 16 जून 2018 से 15 जून 2020 तक है। पक्षों के बीच यह भी सहमति हुई है कि लाइसेंसधारी 24 महीने यानी 15 जून 2020 को लाइसेंसकर्ता को कब्जा सौंप देगा। एमआरसी एक्ट की धारा 24 के स्पष्टीकरण (बी) के अनुसार, लिखित लीव एंड लाइसेंस एग्रीमेंट में नियम और शर्तें उसमें बताए गए तथ्यों के लिए निर्णायक हैं। इस प्रकार, सक्षम प्राधिकारी उन साक्ष्यों पर विचार नहीं कर सकता जो लीव एंड लाइसेंस समझौते की लिखित शर्तों के विपरीत हैं।

    उपरोक्त के मद्देनजर, पीठ ने याचिका को अनुमति दे दी।

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