कोई भी कानून गणेश मंडलों को पंडाल लगाने के लिए अस्थायी अनुमति देने पर रोक नहीं लगाता: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

29 Aug 2024 4:05 PM IST

  • कोई भी कानून गणेश मंडलों को पंडाल लगाने के लिए अस्थायी अनुमति देने पर रोक नहीं लगाता: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने अंधेरी, मुंबई में खुले क्षेत्र में गणेश पंडाल लगाने के लिए राज्य अधिकारियों द्वारा अस्थायी अनुमति देने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की।

    चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने कहा कि गणेश चतुर्थी उत्सव के लिए अस्थायी रूप से भूमि आवंटित की गई। उत्सव समाप्त होने के बाद पंडाल हटा दिए जाएंगे।

    कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ऐसा कोई कानून दिखाने में विफल रहा है, जो गणेश पंडाल लगाने के लिए अस्थायी अनुमति देने की अनुमति नहीं देता।

    कोर्ट ने कहा,

    "हम यह देख सकते हैं कि उक्त प्रार्थना को भी इस कारण से स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि याचिकाकर्ता के विद्वान वकील हमारे संज्ञान में ऐसा कोई कानून लाने में पूरी तरह विफल रहे हैं, जो किसी भी गणेश मंडल को अस्थायी पंडाल लगाने के लिए अस्थायी अनुमति देने पर रोक लगाता हो, जिसे उत्सव समाप्त होने के बाद खाली कर दिया जाता है। भूमि राज्य अधिकारियों को सौंप दी जाती है।"

    याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका के अंतरिम आवेदन में गणेश पंडालों के निर्माण के लिए मंजूरी देने के फैसले को चुनौती दी थी। जनहित याचिका में बिल्डर द्वारा भूमि के खुले क्षेत्र में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया गया।

    याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि भूमि के खुले क्षेत्र का उपयोग आसपास के रहने वाले लोग मनोरंजन के लिए करते हैं। जनहित याचिका के संबंध में न्यायालय ने उल्लेख किया कि भूमि राजस्व कलेक्टर ने न्यायालय के निर्देशों के अनुसार मामले की जांच की और आदेश पारित किया था।

    इसने कहा कि चूंकि कलेक्टर के आदेश को किसी भी पक्ष द्वारा चुनौती नहीं दी गई, इसलिए वर्तमान जनहित याचिका में कार्रवाई का कारण जीवित नहीं। इस प्रकार न्यायालय ने अंतरिम आवेदन के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

    हालांकि इसने नोट किया कि याचिकाकर्ता और क्षेत्र के अन्य निवासी मनोरंजन के उद्देश्यों के लिए किसी भी खुले क्षेत्र की अनुपलब्धता के संबंध में कोई भी उपलब्ध कानूनी उपाय करने के लिए स्वतंत्र है।

    केस टाइटल: मनीष रमणीकलाल सावला बनाम महाराष्ट्र राज्य एवं अन्य (जनहित याचिका संख्या 114/2012, प्रस्ताव संख्या 207/2013 की सूचना और अंतरिम आवेदन (एल) संख्या 17821/2024 के साथ)

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