बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिक्षकों को वेतन न देने पर जिला परिषद के सीईओ का वेतन रोका, कहा- उन्हें भी समझ आए कि वेतन न मिलने पर क्या-क्या सहना पड़ता है
Avanish Pathak
11 Feb 2025 11:44 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में महाराष्ट्र सरकार को सोलापुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का एक महीने का वेतन रोकने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह आदेश ये देखने के बाद दिया कि स्पष्ट आदेशों के बावजूद कुछ शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया।
जस्टिस रवींद्र घुगे और जस्टिस अश्विन भोबे की खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि सीईओ को भी वेतन न मिलने जैसे हालात से गुजरना चाहिए।
न्यायाधीशों ने 28 जनवरी के आदेश में उल्लेख किया कि 26 नवंबर, 2024 को पारित एक आदेश के जरिए सोलापुर जिला परिषद के सीईओ को याचिकाकर्ता शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जिन्हें आठ महीने से अधिक समय तक काम करने के बावजूद वेतन नहीं दिया गया था।
सीईओ को 14 जनवरी तक भुगतान करने का आदेश दिया गया था, जब मामले की अगली सुनवाई होनी थी। हालांकि, जब 28 जनवरी को मामले की सुनवाई हुई, तो बताया गया कि अभी भी शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया है।
इससे नाराज होकर न्यायाधीशों ने कहा,
"हम राज्य सरकार को जिला परिषद, सोलापुर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) का वेतन रोकने का निर्देश दे रहे हैं, क्योंकि हमारे आदेश की अवहेलना की गई है। जब तक इन याचिकाकर्ताओं का वेतन नहीं दिया जाता, तब तक वेतन रोका जाएगा।"
पीठ ने मामले की सुनवाई 5 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
यह मुद्दा तीन शिक्षकों द्वारा दायर याचिका से संबंधित है, जिन्होंने अपनी नियुक्तियों को समाप्त करने को चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि पात्र होने के बावजूद, उन्हें शुरू में स्कूलों में भर्ती के लिए शिक्षक योग्यता और बुद्धिमत्ता परीक्षण (TAIT) में भाग लेने से रोका गया था।
और फिर, 2023 में HC से राहत मिलने के बाद, उन्होंने परीक्षा पास कर ली और उन्हें नियुक्त कर लिया गया।
हालांकि, बाद में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) परीक्षा में धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए दो एफआईआर दर्ज की गईं, जो दिसंबर 2022 में आयोजित की गई थी और इसके परिणाम मार्च 2023 में प्रकाशित किए गए थे।
याचिकाकर्ताओं को स्थानीय प्रशासन द्वारा अनिवार्य रूप से स्थानीय पुलिस द्वारा 'चरित्र प्रमाण पत्र' दिए गए थे और उन्हें मई 2024 में सोलापुर जिला परिषद स्कूल में नियुक्त किया गया था। हालांकि, अक्टूबर 2024 तक उन्हें बर्खास्तगी पत्र दे दिए गए।
जब याचिका पर पहली बार 26 नवंबर, 2024 को सुनवाई हुई थी, तब न्यायाधीशों ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था और संकेत दिया था कि वे प्रवेश चरण में ही याचिका पर अंतिम सुनवाई कर सकते हैं। हालांकि कोर्ट ने सीईओ को याचिकाकर्ताओं को बकाया वेतन का भुगतान 14 जनवरी, 2025 तक करने को कहा था। फिर भी 28 जनवरी, 2025 तक भी भुगतान नहीं किया गया। इसलिए, पीठ ने अदालत के आदेशों की 'अवहेलना' करने के लिए सीईओ का वेतन ही रोक दिया।
केस टाइटलः मनोज महाले बनाम महाराष्ट्र राज्य (रिट पीटिशन 568/2025)

