'दुर्घटना' में अचानक फिसलना भी शामिल, मुआवज़े के लिए दूसरे वाहन की संलिप्तता ज़रूरी नहीं : बॉम्बे हाईकोर्ट
Praveen Mishra
19 Aug 2025 9:34 AM IST

एक महत्वपूर्ण आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि किसी सड़क दुर्घटना (Accident) के लिए किसी अन्य वाहन की संलिप्तता आवश्यक नहीं है। मोटरसाइकिल के फिसलने या स्किड होने को भी दुर्घटना माना जाएगा और पीड़ितों को मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) के तहत मुआवजा पाने का अधिकार होगा।
हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए मृत महिला के परिजनों को 7,82,800 रुपये मुआवजा और 7.5% वार्षिक ब्याज देने का आदेश दिया। महिला की मौत उस समय हुई थी जब उनकी साड़ी मोटरसाइकिल की चैन में फँस गई, जिससे मोटरसाइकिल फिसल गई और महिला सड़क पर गिर गई।
सिंगल-जज जस्टिस शिवकुमार दिगे ने मोटर एक्सीडेंट्स क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT) के आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें महिला के परिवार को मुआवजा देने से इनकार किया गया था। महिला के पति ने अपने और दो नाबालिग बेटों के साथ याचिका दायर की थी। घटना के समय वे चारों मोटरसाइकिल से यात्रा कर रहे थे। रास्ते में पत्नी की साड़ी का पल्लू पीछे के पहिये में फँस गया, जिससे मोटरसाइकिल सड़क पर गिर गई और महिला के सिर पर गंभीर चोट आई। अस्पताल पहुँचने से पहले ही उनकी मृत्यु हो गई।
MACT ने यह कहते हुए मुआवजा देने से इनकार कर दिया था कि इसमें कोई अन्य वाहन शामिल नहीं था, इसलिए यह दुर्घटना नहीं है। लेकिन हाईकोर्ट ने इस निष्कर्ष को अस्वीकार कर दिया। जस्टिस दिगे ने कहा, “मोटर वाहन अधिनियम में 'दुर्घटना' की परिभाषा नहीं दी गई है। लेक्सिस नेक्सिस के अनुसार, 'दुर्घटना' का अर्थ है—एक अचानक, अप्रत्याशित या अनचाहा घटना जिससे किसी व्यक्ति को हानि पहुँचे। मेरे विचार से दुर्घटना में टक्कर, पलटना या फिसलना शामिल है। इसके लिए किसी अन्य वाहन की संलिप्तता आवश्यक नहीं है, जैसा कि इस मामले में हुआ।”
न्यायाधीश ने कहा कि मृतका मोटरसाइकिल पर जा रही थीं, उनकी साड़ी फँसने से वे सड़क पर गिरीं और मृत्यु हो गई। इसलिए यह 'दुर्घटना' है। उस समय मोटरसाइकिल बीमा कंपनी के साथ बीमित थी, इसलिए बीमा कंपनी मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है।
बीमा कंपनी का यह तर्क भी कोर्ट ने खारिज कर दिया कि चार लोग मोटरसाइकिल पर सवार थे, जो बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा, “हालाँकि चार लोग बाइक पर थे, लेकिन मृतका, उनके पति और उनके दो छोटे बच्चे (करीब 3 वर्ष की आयु के) साथ थे, इसलिए इसे बीमा पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता।”
इसके साथ ही अदालत ने अपील को स्वीकार कर लिया।

