INCOME TAX | विंटेज कार की बिक्री से हुई आमदनी टैक्सेबल, अगर व्यक्तिगत उपयोग साबित न हो: बॉम्बे हाईकोर्ट
Amir Ahmad
19 Aug 2025 12:14 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि कोई करदाता विंटेज कार बेचता है तो उसकी बिक्री से प्राप्त राशि आयकर के दायरे में आएगी, जब तक कि करदाता यह साबित न कर दे कि कार वास्तव में व्यक्तिगत उपयोग के लिए थी।
चीफ जस्टिस अलोक अराधे और जस्टिस संदीप वी. मरने की खंडपीठ ने कहा कि केवल यह तथ्य कि कार का व्यक्तिगत इस्तेमाल संभव है। अपने आप में यह मानने का आधार नहीं हो सकता कि हर कार करदाता की व्यक्तिगत संपत्ति है, इसलिए उसे पूंजीगत संपत्ति से बाहर रखा जा सकता है।
मामले में करदाता ने एक विंटेज कार 20,000 रुपये में खरीदी थी, जिसे बाद में 21 लाख रुपये में बेच दिया। करदाता ने दावा किया कि यह कार व्यक्तिगत संपत्ति थी, जिसे उसने वेल्थ टैक्स रिटर्न में भी इसी रूप में दिखाया। इसलिए यह छूट प्राप्त संपत्ति थी। हालांकि, आकलन अधिकारी ने बिक्री मूल्य में अंतर 20.80 लाख रुपये को करदाता की आय मानते हुए इसे व्यापारिक आय में जोड़ दिया।
करदाता की अपील पर आयकर आयुक्त (अपील) [CIT (A)] ने यह कहते हुए राहत दी कि विंटेज कारें आमतौर पर नियमित उपयोग में नहीं लाई जातीं, क्योंकि उनका रखरखाव महंगा होता है। चूंकि इसे वेल्थ टैक्स में व्यक्तिगत संपत्ति के तौर पर दिखाया गया, इसलिए इस राशि को करयोग्य नहीं माना जा सकता।
विभाग की अपील पर ITAT (Income Tax Appellate Tribunal) ने CIT(A) के आदेश को पलट दिया। ITAT ने माना कि करदाता यह साबित नहीं कर पाया कि विंटेज कार वास्तव में उसके व्यक्तिगत उपयोग में थी। इस प्रकार बिक्री से हुई कमाई करयोग्य है।
हाईकोर्ट के समक्ष करदाता ने दलील दी कि विभाग खुद इस कार को व्यक्तिगत संपत्ति मानता रहा है। इसका रखरखाव खर्च भी उसके व्यक्तिगत खाते से ही दिखाया गया। हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि करदाता कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाया, जिससे यह साबित हो कि कार का उपयोग वास्तव में व्यक्तिगत तौर पर किया गया। केवल वेल्थ टैक्स रिटर्न या डिप्रिसिएशन न लेने जैसे तथ्य इस बात का प्रमाण नहीं हो सकते।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि करदाता पर यह दायित्व था कि वह साक्ष्य प्रस्तुत करे कि कार व्यक्तिगत उपयोग की संपत्ति थी। ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया गया, इसलिए ITAT द्वारा CIT(A) का आदेश पलटकर राजस्व विभाग की अपील स्वीकार करना सही था।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने करदाता की अपील खारिज कर दी।
केस टाइटल: Narendra I. Bhuva बनाम Assistant Commissioner of Income Tax

