लिखित बयान दाखिल करने की परिसीमा का प्रारंभिक बिंदु समन की तामील की तिथि: बॉम्बे हाईकोर्ट

Shahadat

2 Oct 2025 5:32 PM IST

  • लिखित बयान दाखिल करने की परिसीमा का प्रारंभिक बिंदु समन की तामील की तिथि: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 (CPC) के आदेश VIII नियम 1 के तहत लिखित बयान दाखिल करने की समय-सीमा प्रतिवादी द्वारा वकालतनामा दाखिल करने की तिथि से नहीं, बल्कि वादपत्र की प्रति के साथ समन की तामील की तिथि से शुरू होती है। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वादपत्र की तामील की ज़िम्मेदारी वादी की है और प्रतिवादी से यह अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह केवल इसलिए वादपत्र की प्रति प्राप्त करने के लिए अदालत में आवेदन करे, क्योंकि वकालतनामा पहले ही दाखिल किया जा चुका है।

    जस्टिस जितेंद्र जैन मूल प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा दायर अंतरिम आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें पारसी पंचायत, बॉम्बे के निधियों और संपत्तियों के न्यासियों द्वारा दायर गैर-व्यावसायिक मुकदमे में लिखित बयान दाखिल करने में 75 दिनों की देरी के लिए क्षमादान की मांग की गई। वादीगण ने तर्क दिया कि चूंकि वकालतनामा 11 जून 2021 को दायर किया गया, इसलिए बॉम्बे हाईकोर्ट (मूल पक्ष) नियम, 1980 के नियम 84 के तहत समन की रिट उसी तारीख से तामील मानी गई, इसलिए देरी 700 दिनों से अधिक है।

    अदालत ने इस दलील को खारिज कर दिया और कहा कि नियम 84 केवल तामील साबित करने का तरीका बताता है, जहां तामील का तथ्य विवाद में है। इसका यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि वकालतनामा दाखिल करना वादपत्र के साथ समन की तामील मानी जाती है।

    अदालत ने टिप्पणी की:

    “नियम 84 केवल सबूत के तरीके का प्रावधान करने वाला एक नियम है। इसका यह अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि यदि वकालतनामा दायर किया जाता है तो समन की तामील के संबंध में कोई विवाद न होने पर वादपत्र के साथ समन तामील माना जाता है।”

    अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि वकालतनामा दाखिल करना समन की तामील के बाद भी हो सकता है। हालांकि, यदि समन रिट की तामील से पहले वकालतनामा दायर किया जाता है तो वह आदेश VIII नियम 1 के प्रयोजन के लिए परिसीमा अवधि की प्रारंभिक गणना के लिए प्रतिवादी के विरुद्ध नहीं जा सकता। इसने माना कि प्रतिवादी नंबर 1 द्वारा समन तामील की तिथि से विलंब की गणना करना उचित है।

    अदालत ने कहा,

    "...नियम 84, 87, 88 और आदेश VIII नियम 1 के संयुक्त वाचन और लिखित बयान दाखिल करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए परिसीमा अवधि उस दिन से शुरू होगी, जिस दिन प्रतिवादी को वाद/वाद की प्रति के साथ समन रिट तामील की जाती है।"

    अदालत ने आगे कहा कि वकील के कार्यालय में असावधानी के कारण हुई 75 दिनों की देरी "पर्याप्त कारण" है। अदालत ने टिप्पणी की कि वादियों को उनके वकीलों की अनजाने में हुई गलतियों के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए, खासकर जहां विलंब अत्यधिक न हो और कोई पूर्वाग्रह न उत्पन्न हुआ हो।

    तदनुसार, अदालत ने आवेदन स्वीकार किया, देरी को माफ किया और रजिस्ट्री को लिखित बयान को रिकार्ड पर लेने का निर्देश दिया।

    Case Title: Gautam Dham Co-operative Housing Society Ltd. & Ors. v. Funds and Properties of Parsi Panchayat, Bombay & Ors. [Interim Application No. 4761 of 2025 in Suit No. 393 of 2022, Bombay High Court, decided on 20 September 2025]

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