दावेदार अवॉर्ड के अलग किए गए हिस्से के लिए बिना लिमिटेशन बार के वैकल्पिक उपाय अपना सकता है: बॉम्बे हाईकोर्ट
Shahadat
20 Dec 2025 9:43 AM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि लिमिटेशन की गणना करते समय पिछली आर्बिट्रल कार्यवाही में बिताए गए समय को बाहर रखा जा सकता है, भले ही आर्बिट्रल अवॉर्ड का केवल एक हिस्सा रद्द किया गया हो और नई कार्यवाही किसी अलग एग्रीमेंट से शुरू हुई हो।
जस्टिस संदीप वी मार्ने की सिंगल बेंच ने 17 दिसंबर, 2025 के आदेश में कहा कि आर्बिट्रेशन एंड कॉन्सिलिएशन एक्ट की धारा 43(4) ऐसे समय को बाहर रखने की अनुमति देती है, जब तक कि विवाद पिछली आर्बिट्रेशन का हिस्सा था।
कोर्ट ने कहा,
"जब ऐसे मामले में दावेदार मुकदमा दायर करता है तो उसे लिमिटेशन के आधार पर खारिज नहीं किया जा सकता, क्योंकि धारा 43(4) ऐसे दावेदार की मदद करेगी, जो मुकदमा दायर करने में लिमिटेशन की अवधि की गणना करते समय आर्बिट्रल कार्यवाही में बिताए गए समय को बाहर रखेगा।"
यह फैसला लगुना रिजॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा दायर याचिका खारिज करते हुए आया, जिसमें आर्बिट्रल अवॉर्ड को चुनौती दी गई थी, जिसमें उसे कॉन्सेप्ट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड (CHPL) को ब्याज सहित 78.09 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया। यह राशि 2009 और 2011 के बीच दी गई होटल मैनेजमेंट सेवाओं के लिए बकाया इनवॉइस से संबंधित हैं।
लगुना रिजॉर्ट के पास लोनावाला में एक रिजॉर्ट प्रॉपर्टी है। इस प्रॉपर्टी का मैनेजमेंट शुरू में 1999 के एक एग्रीमेंट के तहत कॉन्सेप्ट हॉस्पिटैलिटी द्वारा किया जाता है। 2009 में कॉन्सेप्ट ने एक त्रिपक्षीय व्यवस्था के माध्यम से अपने अधिकार एवरग्रीन हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड को सौंप दिए। एवरग्रीन ने बाद में 2011 में एक नया मैनेजमेंट एग्रीमेंट किया। कॉन्सेप्ट हॉस्पिटैलिटी और एवरग्रीन बाद में CHPL बनाने के लिए मर्ज हो गए।
एवरग्रीन ने पहले आर्बिट्रेशन कार्यवाही शुरू की। उन कार्यवाहियों के परिणामस्वरूप कई दावों को कवर करने वाला एक अवॉर्ड आया। 2019 में हाईकोर्ट ने उस अवॉर्ड को आंशिक रूप से यह मानते हुए रद्द कर दिया कि 2009-2011 की अवधि के विवाद 2011 के एग्रीमेंट के तहत आर्बिट्रेशन योग्य नहीं है।
इसके बाद CHPL ने 1999 के एग्रीमेंट के तहत नई आर्बिट्रेशन शुरू की। इसी से चुनौती वाला अवॉर्ड आया।
लगुना रिजॉर्ट ने तर्क दिया कि दावे लिमिटेशन से बाधित हैं। उसने कहा कि धारा 43(4), जो लिमिटेशन की गणना करते समय पिछली आर्बिट्रेशन कार्यवाही में बिताए गए समय को बाहर रखने की अनुमति देती है, लागू नहीं हो सकती, क्योंकि दूसरी आर्बिट्रेशन एक अलग कॉन्ट्रैक्ट से उत्पन्न हुई। इसने विवादित अवधि के लिए एक वैध आर्बिट्रेशन एग्रीमेंट के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया।
कोर्ट ने इन आपत्तियों को खारिज कर दिया। इसमें कहा गया कि धारा 43(4) सिर्फ़ उन मामलों तक सीमित नहीं है, जहां पूरा अवार्ड रद्द कर दिया जाता है। यह प्रावधान वहां भी लागू होता है, जहां अवार्ड का सिर्फ़ एक हिस्सा अलग किया जाता है, बशर्ते उस हिस्से के लिए मुकदमा करने का अधिकार जारी रहे।
आगे कहा गया,
"धारा 43(4) के तहत परिकल्पित 'विवाद में समानता' की अवधारणा 'विवाद के एक हिस्से' पर भी लागू होगी। जहां कई दावों वाले अवार्ड को अलग किया जाता है और अवार्ड का खराब हिस्सा रद्द कर दिया जाता है। यदि अवार्ड के अलग किए गए खराब हिस्से के संबंध में मुकदमा करने का अधिकार जारी रहता है तो दावेदार उस खराब हिस्से के संबंध में वैकल्पिक उपाय का इस्तेमाल कर सकता है।"
याचिका खारिज कर दी गई। कोर्ट ने कहा कि लगुना रिज़ॉर्ट ने अवार्ड को मेरिट के आधार पर चुनौती नहीं दी या देनदारी पर विवाद नहीं किया। उसकी चुनौती सिर्फ़ लिमिटेशन तक सीमित है।
Case Title: Laguna Resort Pvt Ltd vs Concept Hospitality Pvt Ltd

