बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्विन टनल प्रोजेक्ट में 16.6 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की

Amir Ahmad

18 March 2025 6:13 AM

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्विन टनल प्रोजेक्ट में 16.6 करोड़ की फर्जी बैंक गारंटी का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज की

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने जनहित याचिका (PIL) खारिज की, जिसमें मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MMRDA) द्वारा एक निजी कंपनी मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) से ठाणे और बोरीवली के बीच करीब 16,600.40 करोड़ रुपये की ट्विन ट्यूब रोड टनल के निर्माण के लिए स्वीकार की गई कथित फर्जी बैंक गारंटी की CBI या SIT से जांच की मांग की गई।

    चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस भारती डांगरे की खंडपीठ ने जनहित याचिका खारिज की और कहा कि इस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा।

    यह याचिका सीनियर पत्रकार वी रवि प्रकाश ने दायर की थी। इसमें आरोप लगाया गया कि MEIL की ओर से MMRDA के पक्ष में विदेशी संस्था द्वारा फर्जी बैंक गारंटी (BR) जारी की गई। याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने किया।

    याचिका में आरोप लगाया गया कि MEIL ने ट्विन ट्यूब रोड टनल परियोजना के लिए 6 फर्जी BR दिए। कहा गया कि बैंक गारंटी केवल धोखाधड़ी करने और बिना किसी सुरक्षित गारंटी के सार्वजनिक धन प्राप्त करने के लिए बनाई गई।

    याचिकाकर्ता ने चुनावी बॉन्ड के संबंध में MEIL और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन की व्यवस्था का भी आरोप लगाया। इसलिए उन्होंने इस मामले की CBI या SIT से जांच कराने की मांग की। याचिकाकर्ता ने MMRDA को इस परियोजना के लिए MEIL को दिए गए अनुबंध को समाप्त करने का निर्देश देने की भी मांग की।

    जनहित याचिका का विरोध MEIL की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी और खंबाटा, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और महाराष्ट्र के महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने किया।

    पिछली सुनवाई के दौरान MEIL ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया। याचिकाकर्ता द्वारा किए गए एक ट्वीट का हवाला देते हुए MEIL ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता ने अदालत में मामले का उल्लेख किए जाने के बाद इस पर एक्स पोस्ट/ट्वीट करके आपराधिक मानहानि की।

    एसजी मेहता ने यह दलील देने के अलावा कि जनहित याचिका दुर्भावनापूर्ण थी और याचिकाकर्ता के आचरण पर आपत्ति जताई इस बात पर जोर दिया कि निविदा सार्वजनिक निविदा थी। इसे MEIL को दिया गया, क्योंकि यह सबसे अधिक बोली लगाने वाला था। एजी सराफ ने भी दलील दी कि याचिकाकर्ता ने आपराधिक अवमानना ​​की और अदालत की पवित्रता को नुकसान पहुंचाया।

    केस टाइटल: वी. रवि प्रकाश बनाम मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण और अन्य।

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