बॉम्बे हाईकोर्ट ने 1995 के धोखाधड़ी मामले में खेल मंत्री माणिकराव कोकाटे की सज़ा पर रोक लगाने से इनकार किया, सज़ा निलंबित की
Shahadat
19 Dec 2025 9:05 PM IST

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) (अजित पवार गुट) के सीनियर नेता माणिकराव कोकाटे को झटका देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 1995 के धोखाधड़ी मामले में उनकी सज़ा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल उनकी सज़ा निलंबित कर दी है।
सिंगल-जज जस्टिस राजेश लड्ढा ने कोकाटे द्वारा सीनियर वकील रवि कदम और वकील अनिकेत निकम के माध्यम से दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोर्ट से उनकी सज़ा पर रोक लगाने का आग्रह किया गया, क्योंकि इससे उन्हें विधायक (MLA) के पद से हटाया या अयोग्य घोषित किया जा सकता है, जिससे उन्हें 'अपूरणीय' नुकसान होगा। इसे उक्त राहत देने के लिए एक 'असाधारण परिस्थिति' माना जा सकता है।
हालांकि, जज ने इसे 'असाधारण' परिस्थिति मानने से इनकार कर दिया। इसके बजाय कोकाटे को याद दिलाया, जो कैबिनेट मंत्री का 'संवैधानिक' पद संभाल रहे हैं, कि ऐसे पद धारक को सार्वजनिक उद्देश्यों के प्रति 'अटूट निष्ठा' के साथ अपना कर्तव्य निभाना चाहिए।
जस्टिस लड्ढा ने खचाखच भरे कोर्टरूम में मौखिक रूप से सुनाए गए आदेश में यह टिप्पणी की,
"वह जिस पद पर हैं, वह सिर्फ़ नाममात्र का नहीं है, बल्कि कानून के शासन को बनाए रखने और नागरिकों के सामूहिक हित की रक्षा करने का एक गंभीर दायित्व है। यह पद जवाबदेही के उच्च मानक की मांग करता है। दोषी व्यक्तियों को केवल निलंबित सज़ा के आधार पर संवैधानिक पद पर बने रहने की अनुमति देना सार्वजनिक हित को अपूरणीय नुकसान पहुंचाएगा और ऐसा कदम लोकतांत्रिक संस्थानों में जनता के विश्वास को कम करेगा, संवैधानिक मूल्यों से समझौता करेगा और कानून का पालन करने वाले अन्य सार्वजनिक पदाधिकारियों का मनोबल गिराएगा।"
जज ने कहा कि हालांकि मतदाताओं का प्रतिनिधित्व का अधिकार लोकतांत्रिक वैधता का एक आधार स्तंभ है, लेकिन इसे पूर्ण अधिकार नहीं माना जा सकता।
जज ने टिप्पणी की,
"इसलिए लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व और कानूनी जवाबदेही के बीच संतुलन संस्थागत अखंडता और सार्वजनिक विश्वास के पक्ष में होना चाहिए।"
गौरतलब है कि कोकाटे पर 1989 और 1992 के बीच शुरू की गई योजना का फायदा उठाकर सरकार को धोखा देने का आरोप है, जो समाज के कमजोर वर्ग के लिए थी। योजना के अनुसार, केवल 30,000 रुपये तक की वार्षिक आय वाले लोग ही सरकारी फ्लैटों के लिए पात्र है। आरोप है कि कोकाटे और उनके भाई विजय ने फ्लैट पाने के लिए अपनी इनकम 30,000 रुपये से कम होने का दावा करते हुए झूठे एफिडेविट जमा किए और बाद में उन्हें ऐसे 2 फ्लैट अलॉट किए गए।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि उस समय कोकाटे अपने कानूनी पेशे और खेती के बिजनेस से 30,000 रुपये से कहीं ज़्यादा कमा रहे थे। आरोप है कि उनके पिता के पास करीब 25 एकड़ खेती की ज़मीन थी और कोकाटे अपने पिता की ज़मीन पर उगाई गई गन्ने की फसल स्थानीय फैक्ट्रियों को सप्लाई करते थे और इस बिजनेस से अच्छी खासी कमाई करते थे।
अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि सरकारी स्कीम के फ्लैट के लिए अप्लाई करते समय कोकाटे ने यह सब नहीं बताया।
अभियोजन पक्ष की बात मानते हुए जज ने पाया कि कोकाटे द्वारा उस समय भरे गए एप्लीकेशन और बाद में जमा किए गए एफिडेविट में गड़बड़ी थी, क्योंकि एप्लीकेशन में नेता ने इनकम के सोर्स वाले सेक्शन से 'खेती का बिजनेस' शब्द काट दिया और सिर्फ 'कानूनी पेशा' लिखा, लेकिन अपने एफिडेविट में उन्होंने बताया था कि वह कानूनी पेशे और खेती के बिजनेस से पैसे कमाते हैं।
जस्टिस लड्ढा ने कहा,
"दस्तावेजी सबूत, खासकर एप्लीकेशन फॉर्म और एफिडेविट और दूसरे दस्तावेजी सबूत, पहली नज़र में आरोपी का ओरिजिनल अपराध में शामिल होना दिखाते हैं। सीनियर वकील द्वारा उठाए गए सभी तर्कों की जांच रिवीजन एप्लीकेशन की फाइनल सुनवाई के स्टेज पर की जाएगी। आरोपी के खिलाफ सीधे और दस्तावेजी सबूत दिख रहे हैं। नीचे की दोनों अदालतों ने सबूतों की जांच की है और विवादित आदेश पारित करते हुए कहा कि प्रॉसिक्यूशन ने अपना मामला बिना किसी शक के साबित कर दिया है। इसलिए यह अदालत सज़ा के आदेश को सस्पेंड करने के मूड में नहीं है। इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है।"
2 साल की सज़ा को तब तक सस्पेंड करने की याचिका के बारे में जब तक रिवीजन एप्लीकेशन की फाइनल सुनवाई नहीं हो जाती, जस्टिस लड्ढा ने कहा कि पुरानी रिवीजन एप्लीकेशन पेंडिंग होने के कारण इस मामले की सुनवाई जल्द ही होने की संभावना नहीं है। इसलिए उन्होंने सज़ा को तब तक के लिए सस्पेंड कर दिया, जब तक अदालत उनकी रिवीजन याचिका पर सुनवाई करके फाइनल फैसला नहीं सुना देती।
जज ने आदेश दिया,
"रिवीजन एप्लीकेशन पेंडिंग रहने तक उस पर लगाई गई सज़ा फाइन के पेमेंट की शर्त पर सस्पेंड रहेगी। उसे 1 लाख रुपये के ज़मानत बॉन्ड पर जमानत मिलेगी।"
खास बात यह है कि कोकाटे को इस साल फरवरी में एक ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया था। इस आदेश को नासिक की एक सेशंस कोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने 16 दिसंबर को दोषसिद्धि को बरकरार रखा और उसे 2 साल जेल की सज़ा सुनाई।
सज़ा मिलने के बाद कोकाटे ने अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे कथित तौर पर राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया।

