बॉम्बे हाईकोर्ट ने निजी विवाद में PMC की कार्रवाई को बताया मनमाना; वेलबिल्ड पर ₹25 लाख और नगर निगम अधिकारियों पर ₹5 लाख जुर्माना

Praveen Mishra

24 Nov 2025 6:28 PM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने निजी विवाद में PMC की कार्रवाई को बताया मनमाना; वेलबिल्ड पर ₹25 लाख और नगर निगम अधिकारियों पर ₹5 लाख जुर्माना

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे नगर निगम (PMC) के अधिकारियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि नगर निगम जैसी वैधानिक संस्थाओं का उपयोग निजी संविदात्मक विवादों को निपटाने के साधन के रूप में नहीं किया जा सकता। अदालत ने पाया कि अधिकारियों ने बिना कानूनी आधार, बिना साइट निरीक्षण और बिना रिकॉर्ड की जाँच के एट्रिया कंस्ट्रक्शन्स पर स्टॉप-वर्क नोटिस जारी कर दिया, जो पूरी तरह मनमाना और हड़बड़ी में उठाया गया कदम था।

    यह मामला एट्रिया कंस्ट्रक्शन्स और वेलबिल्ड मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के बीच चल रहे विवाद से जुड़ा है। एट्रिया कंस्ट्रक्शन्स विंग C और D बना रहा था, जिसमें विंग D का निर्माण पूरा हो चुका था और ओसी (Occupation Certificate) का आवेदन लंबित था। फ्लैट खरीदार कब्जे की प्रतीक्षा कर रहे थे।

    इसी दौरान PMC अधिकारियों ने पहले व्हाट्सऐप पर सुनवाई का नोटिस भेजा और अगली ही सुबह पर्यावरण व प्लानिंग उल्लंघन का हवाला देते हुए स्टॉप-वर्क नोटिस जारी कर दिया।

    जस्टिस जी.एस. कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ एस. डॉक्टर की खंडपीठ ने पाया कि नोटिस इतना अस्पष्ट था कि उसकी कानूनी वैधता और अधिकारियों की नीयत दोनों पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है।

    अदालत ने यह भी कहा कि सुनवाई में ऐसे लोग मौजूद थे जिनका परियोजना से कोई संबंध ही नहीं था।

    हाईकोर्ट ने दोहराया कि किसी भी वैधानिक प्राधिकारी को ऐसा आदेश, जो किसी पक्ष के सिविल अधिकारों को प्रभावित करे, बिना उचित शो-कॉज नोटिस और जवाब के अवसर दिए नहीं passed किया जा सकता।

    अदालत ने आगे पाया कि स्टॉप-वर्क नोटिस सीधे-सीधे वेलबिल्ड द्वारा नगर निगम मशीनरी के दुरुपयोग का परिणाम था, क्योंकि वेलबिल्ड को मध्यस्थता संबंधी कार्यवाही (धारा 9 और 37, मध्यस्थता अधिनियम) में कोई राहत नहीं मिली थी।

    हाईकोर्ट ने कहा—

    “जो वेलबिल्ड कानूनन सही तरीके से नहीं कर पाया, उसे उसने नगर निगम की मशीनरी का उपयोग कर हासिल करने की कोशिश की।”

    अदालत ने नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि संबंधित अधिकारियों के आचरण की जांच कर एक्शन-टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

    हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि—

    • वेलबिल्ड मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड पर ₹25 लाख का जुर्माना लगाया जाए,

    • और स्टॉप-वर्क नोटिस जारी करने वाले PMC अधिकारियों पर संयुक्त रूप से ₹5 लाख का दंड लगाया जाए।

    अदालत ने कहा कि ऐसी कार्रवाई प्रशासनिक प्रणाली की विश्वसनीयता पर आघात पहुँचाती है और इसे सख्त रूप से रोका जाना आवश्यक है।

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