बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिरडी साईं बाबा मंदिर में फूल चढ़ाने की अनुमति दी, कहा- इन्हें किसानों से खरीदा जाना चाहिए

Shahadat

18 Nov 2024 10:00 AM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने शिरडी साईं बाबा मंदिर में फूल चढ़ाने की अनुमति दी, कहा- इन्हें किसानों से खरीदा जाना चाहिए

    बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने शुक्रवार (14 नवंबर) को श्री साईंबाबा संस्थान, शिरडी को मंदिर में साईं बाबा को फूल चढ़ाने की प्रथा को फिर से शुरू करने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया कि भक्तों को उचित मूल्य पर फूल चढ़ाने के लिए उपलब्ध कराए जाने चाहिए।

    अदालत ने आगे कहा कि किसी भी भक्त को अत्यधिक दरों पर फूल बेचकर परेशान या जबरन वसूली नहीं की जानी चाहिए।

    जस्टिस मंगेश पाटिल और जस्टिस शैलेश ब्रह्मे की खंडपीठ ने यह स्पष्ट किया कि संस्थान के कर्मचारियों की क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी सीधे किसानों से फूल खरीदेगी और किसी भी बिचौलिए को लेनदेन में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

    जजों ने आदेश में कहा,

    "किसानों द्वारा सीधे ट्रस्ट या संस्थान के कर्मचारियों की क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के माध्यम से फूल उपलब्ध कराए जा सकते हैं। मंदिर परिसर में और उसके आसपास रेट कार्ड प्रदर्शित करके देवस्थान ट्रस्ट के परिसर में श्रद्धालुओं को उचित दर पर उपलब्ध कराए जा सकते हैं। यह सुनिश्चित करना नगर परिषद और पुलिस की जिम्मेदारी होगी कि कोई भी अनधिकृत फूल विक्रेता काम न करे और कोई बिचौलिया न हो।"

    हाईकोर्ट ने कहा कि इससे संस्थान पर कोई वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा, सिवाय देवता को चढ़ाए गए ऐसे फूलों और मालाओं के निपटान के संबंध में।

    खंडपीठ ने निर्देश दिया,

    "चूंकि (संस्थान द्वारा पारित) प्रस्ताव में इस बारे में कुछ नहीं बताया गया कि इसका निपटान किस तरह किया जाएगा। चूंकि यह नाशवान वस्तु है, इसलिए इसका नियमित और शीघ्र निपटान किया जाना आवश्यक है। इसलिए यह उचित होगा कि संस्थान को प्रस्ताव नंबर 277 के अनुसार फूल/माला चढ़ाने की अनुमति दी जाए। तदर्थ समिति से आग्रह किया जाए कि वह फूल/माला चढ़ाने से उत्पन्न होने वाले कचरे का निपटान किस तरह से करे, इस बारे में यथाशीघ्र उचित निर्णय ले।"

    खंडपीठ संस्थान के प्रबंधन की देखरेख करने वाली तदर्थ समिति (हाईकोर्ट के आदेशानुसार) द्वारा दायर दीवानी आवेदन पर विचार कर रही थी, जिसमें 12 अप्रैल, 2023 को पारित उसके प्रस्ताव नंबर 277 के कार्यान्वयन की मांग की गई, जिसके द्वारा देवता को फूल और माला चढ़ाने की प्रथा को फिर से शुरू करने का प्रस्ताव पास किया गया। भक्तों सहित विभिन्न हितधारकों द्वारा भारी शिकायतों के कारण इस प्रथा को रोक दिया गया, जिनसे अत्यधिक दर पर फूल खरीदने के लिए जबरन वसूली की जा रही थी।

    समिति ने वर्ष 2020 में पाया कि कई बदमाशों ने इस धंधे में प्रवेश किया था। यहां तक ​​कि अपराध भी दर्ज किए गए। इसलिए महामारी के मद्देनजर फूल चढ़ाने की प्रथा बंद कर दी गई। हालांकि, भक्तों द्वारा इस प्रथा को फिर से शुरू करने के लिए आंदोलन के बाद तदर्थ समिति ने इस मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर विचार किया और देवता को फूल और माला चढ़ाने का काम फिर से शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया।

    तदनुसार, आवश्यक अनुमति के लिए पीठ का रुख किया। तदर्थ समिति ने जजों को आगे बताया कि इन फूलों का निपटान ई-नीलामी या ई-निविदाओं के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए उसने जनसेवा फाउंडेशन को शामिल किया, जिसकी अध्यक्षता भाजपा नेता राधाकृष्ण विखे-पाटिल की पत्नी करती हैं, जो वर्तमान में पशुपालन और डेयरी विकास मंत्री हैं।

    उल्लेखनीय है कि विखे-पाटिल द्वारा नियुक्त समिति की सिफारिश के आधार पर तदर्थ समिति ने फूल चढ़ाने की प्रथा को फिर से शुरू करने और ई-नीलामी और ई-निविदा के माध्यम से इसके निपटान का प्रस्ताव पारित किया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "यदि ऐसे प्रयुक्त फूलों और मालाओं की ई-नीलामी की जानी है या ई-निविदा के माध्यम से उनका निपटान किया जाना है तो यह आश्चर्य की बात है कि अगरबत्ती के निर्माण में उनके उपयोग के लिए कोई शर्त कैसे जोड़ी जा सकती है। इसी तरह हमें आश्चर्य है कि संस्थान की मंशा या इच्छा, जो जिला मजिस्ट्रेट और नगर परिषद के साथ-साथ पुलिस से अपेक्षा करती है कि वे अनधिकृत विक्रेताओं, बिचौलियों और एजेंटों द्वारा फूलों की बिक्री का समन्वय करें, कैसे काम करेगी और वे फूलों की बिक्री फिर से शुरू होने के बाद होने वाली आपराधिक गतिविधियों को कैसे रोकेंगे। हम केवल इन उपरोक्त तथ्यों को इंगित कर रहे हैं, जिससे यह प्रदर्शित किया जा सके कि हस्तक्षेपकर्ता (भक्तों) द्वारा व्यक्त की जा रही आशंका को निराधार नहीं कहा जा सकता। यहां तक ​​कि तदर्थ समिति भी फूल/मालाओं की प्रथा फिर से शुरू होने के बाद क्षेत्र में प्रवेश करने वाले संभावित आपराधिक तत्वों के प्रति काफी सजग है।"

    खंडपीठ ने अंततः फूल और माला चढ़ाने की प्रथा को फिर से शुरू करने की अनुमति दी। हालांकि, संस्थान को यह निर्देश दिया कि वह इस बात पर शीघ्र निर्णय ले कि वह उक्त प्रथा के लिए इस्तेमाल किए गए फूलों का निपटान कैसे करेगा, जिससे मंदिर परिसर में अस्वच्छ स्थितियों से बचा जा सके।

    केस टाइटल: श्री साईंबाबा संस्थान शिरडी बनाम महाराष्ट्र राज्य (सिविल आवेदन 5846/2023)

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