बॉम्बे हाईकोर्ट ने ऑपरेशन सिंदूर पर पोस्ट फिर से शेयर करने के आरोप में गिरफ्तार स्टूडेंट को रिहा करने का दिया आदेश
Shahadat
27 May 2025 5:12 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस द्वारा भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर पर आलोचनात्मक सोशल मीडिया पोस्ट को फिर से शेयर करने वाली 19 वर्षीय इंजीनियरिंग स्टूडेंट को गिरफ्तार करने पर मौखिक रूप से अपना "आश्चर्य" व्यक्त किया।
जस्टिस गौरी गोडसे और जस्टिस सोमशेखर सुंदरसन की खंडपीठ ने सुबह के सत्र में राज्य और कॉलेज अधिकारियों की आलोचना की थी कि वे उसे सुधारने का प्रयास करने के बजाय उसके साथ "अपराधी" जैसा व्यवहार कर रहे हैं।
19 वर्षीय स्टूडेंट वर्तमान में पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में बंद है। उस पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की धारा 152, 196, 197, 299, 352 और 353 के तहत मामला दर्ज किया गया।
कोर्ट ने आज (मंगलवार) ही लड़की की रिहाई पर विचार करने का फैसला किया था।
शाम को जब मामले की सुनवाई हुई तो खंडपीठ ने जांच की स्थिति के बारे में पूछा।
सहायक लोक अभियोजक ने जब खंडपीठ को बताया कि जांच जारी है और पुलिस उसके मोबाइल और लैपटॉप की जांच कर रही है तो जस्टिस गोडसे ने मौखिक रूप से टिप्पणी की,
"यह बिल्कुल चौंकाने वाला है। ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी उसकी जिंदगी बर्बाद करने पर तुले हुए हैं। कॉलेज भी ऐसा ही कर रहा है।"
बता दें कि लड़की को उसकी परीक्षा से पहले कॉलेज से निकाल दिया गया था। सुनवाई के दौरान, अदालत ने लड़की की मानसिक और भावनात्मक स्थिति के बारे में पूछा और उसे जेल से रिहा करने का निर्देश दिया ताकि वह परीक्षा में शामिल हो सके। इसने पुलिस अधिकारियों को उसे पूरी सुरक्षा और संरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया।
अदालत ने कॉलेज से कहा,
"हम कोई सार्वजनिक हमला आदि नहीं चाहते हैं... अगर आप कर सकते हैं तो उसे परीक्षा लिखने के लिए एक अलग कक्षा दें।"
अदालत ने लड़की की ओर से पेश एडवोकेट फरहाना शाह से कहा,
"जहां तक दो छूटे हुए पेपरों का सवाल है, हम आपको यूनिवर्सिटी में आवेदन करने की अनुमति देंगे ताकि वह पेपर दे सके। साथ ही हमें आपकी मुवक्किल से यह आश्वासन चाहिए कि वह भविष्य में सोशल मीडिया पर ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होगी और सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करेगी।"
लड़की के खिलाफ आरोप यह है कि उसने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट शेयर की, जिससे दो समूहों के बीच तनाव पैदा हो गया और इससे सार्वजनिक शांति भंग होने और भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की आशंका है। हालांकि, अदालत ने पाया कि उसने 7 मई को पोस्ट शेयर की थी और दो घंटे बाद ही उसे डिलीट कर दिया था। इसके अलावा, उसने पाया कि इस बात पर कोई विवाद नहीं है कि उसने पश्चाताप और माफी व्यक्त की है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा,
"हमारे अनुसार, यह चौंकाने वाला है कि पोस्ट डिलीट करने के बाद 9 मई को उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई, जबकि उसने पोस्ट डिलीट कर दिया और माफी भी मांगी।"
अदालत ने उसे जांच में सहयोग करने और बुलाए जाने पर पुलिस के समक्ष उपस्थित होने का भी आदेश दिया।
अदालत ने आदेश दिया,
"हालांकि, परीक्षा अवधि के दौरान उसे पुलिस द्वारा नहीं बुलाया जाएगा।"

