बॉम्बे हाईकोर्ट ने 7 साल के बच्चे को पासपोर्ट जारी करने का दिया आदेश, पिता के 'अवैध प्रवासी' होने के कारण अधिकारियों ने कर दिया था इनकार

Shahadat

13 Dec 2025 10:27 AM IST

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने 7 साल के बच्चे को पासपोर्ट जारी करने का दिया आदेश, पिता के अवैध प्रवासी होने के कारण अधिकारियों ने कर दिया था इनकार

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार (11 दिसंबर) को एक सात साल की बच्ची की मदद की और अधिकारियों को उसे भारतीय पासपोर्ट जारी करने और 1955 के नागरिकता अधिनियम के तहत उसे 'भारतीय नागरिक' घोषित करने का आदेश दिया।

    जस्टिस सारंग कोटवाल और जस्टिस आशीष चव्हाण की डिवीजन बेंच एक सात साल की बच्ची ज़ामी धा तिरकिता काये द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने अपने 'नागरिकता अधिकारों' की रक्षा के लिए गोवा बेंच में याचिका दायर की थी।

    बच्ची की मां भारतीय है और पिता ब्रिटिश नागरिक है। बेंच ने पाया कि पिता 2006 में रोज़गार वीज़ा पर भारत आया, जिसे 2009 तक समय-समय पर बढ़ाया गया। उसने दिसंबर 2009 में नई दिल्ली में एक भारतीय लड़की से शादी की और बाद में 2011 में बिना वैध वीज़ा के देश में 'ज़्यादा समय तक रहने' के आरोप में गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसे विदेशी अधिनियम, 1946 के प्रावधानों का उल्लंघन करने का दोषी ठहराया गया और छह महीने की साधारण जेल की सज़ा सुनाई गई। अपील पर सेशन कोर्ट ने उसकी सज़ा बरकरार रखा और उसे देश से निकालने की सिफारिश की।

    इसके बाद ब्रिटिश नागरिक ने दिल्ली हाईकोर्ट में सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती दी, जिसने सितंबर 2017 में इस आधार पर उसके देश से निकालने पर रोक लगा दी कि उसकी पत्नी गर्भवती थी। दिल्ली हाईकोर्ट ने गृह मंत्रालय को याचिकाकर्ता के पिता के प्रतिनिधित्व पर 'सहानुभूतिपूर्वक' विचार करने का आदेश दिया, जिसके बारे में जजों ने इस याचिका में कहा कि वह अभी भी ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड के लिए लड़ रहा है।

    इसके बाद पिता को 3 नवंबर, 2017 को 'स्टे वीज़ा' दिया गया, जिसे 31 मार्च, 2018 तक बढ़ाया गया।

    इन सबके बीच याचिकाकर्ता ज़ामी का जन्म 24 जनवरी, 2018 को नई दिल्ली में हुआ। इसके बाद उसके माता-पिता गोवा चले गए और पासपोर्ट के लिए आवेदन किया, जिसे अस्वीकार कर दिया गया। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चूंकि उसका जन्म भारत में हुआ और उसकी माँ भारतीय नागरिक है और उसके पिता उसके जन्म के समय एक 'वैध' दस्तावेज़ पर भारत में रह रहे है, इसलिए वह नागरिकता अधिनियम के तहत भारत की 'नागरिक' बनने की हकदार है। हालांकि, अधिकारियों ने तर्क दिया कि हालांकि उसकी माँ भारतीय नागरिक है, लेकिन उसके पिता उसके जन्म के समय एक 'अवैध प्रवासी' हैं, क्योंकि वह किसी 'वैध' दस्तावेज़ के आधार पर भारत में नहीं रह रहे हैं। इसलिए नागरिकता अधिनियम की धारा 3(1)(c)(ii) के अनुसार, वह भारतीय पासपोर्ट या नागरिकता पाने की हकदार नहीं है।

    हालांकि, जजों ने कहा कि इस मामले में संबंधित तारीख 24 जनवरी, 2018 थी जब याचिकाकर्ता का जन्म हुआ था। उसी दिन उसके पिता की स्थिति क्या थी। जजों ने इस बात पर विचार किया कि अधिकारियों ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के बाद पिता को 'स्टे वीज़ा' जारी किया और इसे 31 मार्च, 2018 तक बढ़ा दिया गया।

    बेंच ने आदेश में कहा,

    "इस प्रकार 3 नवंबर, 2017 से 31 मार्च, 2018 तक वह एक वैध दस्तावेज़ के साथ भारत में रह रहा था। प्रतिवादी अधिकारियों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के पिता को 31 मार्च, 2018 तक रहने की अनुमति दी गई, लेकिन उसके ओवरस्टे की अवधि को नियमित नहीं किया गया। इसलिए उसे एक अवैध प्रवासी माना जाना चाहिए। हम इस दलील से सहमत नहीं हैं। उसे एक सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किए गए वैध दस्तावेज़ के आधार पर भारत में रहने की अनुमति दी गई। इसलिए हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि 24 जनवरी, 2018 को याचिकाकर्ता के पिता एक अवैध प्रवासी नहीं थे।"

    इसलिए जजों ने कहा कि याचिकाकर्ता ज़ामी नागरिकता अधिनियम की धारा 3(1)(c)(ii) के प्रावधानों को पूरा करती है। इस प्रकार भारत की नागरिकता पाने की हकदार है।

    इन टिप्पणियों के साथ जजों ने अधिकारियों को सात साल की लड़की को नया पासपोर्ट जारी करने का आदेश दिया।

    Case Title: Xami Dha Tirakita Kaye vs Union of India [Writ Petition 2901 of 2021 (Filing Number)]

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