महार समुदाय को लेकर आपत्तिजनक शब्द के इस्तेमाल पर दर्ज SC/ST Act का मामला बॉम्बे हाईकोर्ट ने किया रद्द
Amir Ahmad
24 Dec 2025 12:12 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने मराठी टीवी चैनल स्टार प्रवाह के खिलाफ दर्ज अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम (SC/ST Act) के तहत FIR रद्द करते हुए अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि किसी धारावाहिक में केवल किसी जाति या समुदाय के नाम का उल्लेख मात्र, अपने आप में SC/ST Act के तहत अपराध नहीं बनता, जब तक कि उसके पीछे जानबूझकर अपमान, डराने या नीचा दिखाने की मंशा स्पष्ट रूप से साबित न हो।
यह फैसला जस्टिस मनीष पितले और मंजुषा देशपांडे की खंडपीठ ने मंगलवार (23 दिसंबर) को सुनाया।
यह मामला मराठी धारावाहिक लक्ष्मी वर्सेस सरस्वती के एक एपिसोड से जुड़ा था, जो 22 अगस्त 2012 को स्टार प्रवाह चैनल पर प्रसारित हुआ था।
शिकायतकर्ता राहुल गायकवाड़ ने आरोप लगाया था कि धारावाहिक के एक दृश्य में एक पात्र द्वारा संवाद के दौरान म्हारा-पोरांची शब्द का प्रयोग किया गया, जो महार समुदाय के लिए अपमानजनक है।
शिकायत के अनुसार यह शब्द जानबूझकर इस्तेमाल किया गया ताकि अनुसूचित जाति समुदाय को अपमानित किया जा सके। इसी आधार पर चैनल के प्रोग्रामिंग हेड, एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर, निर्देशक, लेखक और अभिनेता के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
हालांकि, चैनल की ओर से दलील दी गई कि उक्त शब्द मूल स्क्रिप्ट का हिस्सा नहीं था और एक्टर ने इसे मौके पर ही स्वतः कह दिया था। ऐसे में चैनल या उसके अधिकारियों पर आपराधिक मंशा का आरोप नहीं लगाया जा सकता।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि SC/ST Act की धारा 3(1)(x) के तहत अपराध बनने के लिए यह एक अनिवार्य शर्त है कि आरोपी अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य न हो।
अदालत ने पाया कि एफआईआर में यह तक आरोप नहीं लगाया गया कि जिनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया, वे SC/ST समुदाय से बाहर के व्यक्ति हैं। इसके अलावा, चैनल स्वयं किसी जाति या जनजाति से संबंधित “व्यक्ति” नहीं माना जा सकता।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आपत्तिजनक शब्दों का वास्तविक उच्चारण अभिनेता द्वारा किया गया, न कि चैनल के अधिकारियों द्वारा। ऐसे में उनके खिलाफ यह नहीं कहा जा सकता कि उन्होंने जानबूझकर किसी समुदाय को अपमानित करने का इरादा रखा।
खंडपीठ ने कहा कि किसी जाति या जनजाति के नाम का उल्लेख तभी अपराध बनता है, जब उसका प्रयोग जानबूझकर किसी विशेष व्यक्ति या समुदाय को अपमानित, भयभीत या सार्वजनिक रूप से नीचा दिखाने के उद्देश्य से किया गया हो। मौजूदा मामले में ऐसी कोई ठोस सामग्री सामने नहीं आई।
इन टिप्पणियों के साथ बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्टार प्रवाह चैनल के प्रोग्रामिंग हेड और एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर के खिलाफ दर्ज FIR रद्द कर दी गई।

