शराब लाइसेंस मामले में FIR के खिलाफ समीर वानखेड़े की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने नया नोटिस जारी किया
Shahadat
6 Oct 2025 8:45 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद IRS अधिकारी समीर वानखेड़े द्वारा 2022 में दायर याचिका पर नया नोटिस जारी किया। इस याचिका में नवी मुंबई में एक होटल शुरू करने के लिए शराब लाइसेंस प्राप्त करने हेतु अपनी उम्र कथित रूप से गलत बताने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई। वानखेड़े ने नाबालिग रहते हुए नवी मुंबई में एक होटल शुरू करने के लिए शराब लाइसेंस प्राप्त किया।
बता दें, ठाणे के कोपरी पुलिस स्टेशन ने वानखेड़े के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 181 (लोक सेवक को झूठा बयान), 188 (लोक सेवक की अवज्ञा), 420 (धोखाधड़ी), 465 (जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज़ का बेईमानी से उपयोग) के तहत मामला दर्ज किया। ठाणे कलेक्टर ने नवी मुंबई के वाशी स्थित उनके सद्गुरु होटल का शराब लाइसेंस स्थायी रूप से रद्द कर दिया।
पुलिस ने आरोप लगाया कि वानखेड़े ने नाबालिग होने के बावजूद शराब का लाइसेंस हासिल करने के लिए अपनी उम्र गलत बताई। उस समय उनकी उम्र 17 साल थी, जो अब कम से कम 28 साल पहले की बात है। अभियोजन पक्ष का आरोप है कि वानखेड़े ने जानबूझकर अपनी उम्र बढ़ा-चढ़ाकर बताई और अपनी माँ के साथ होटल में 'साझेदार' बन गए, जिनके नाम पर शराब का लाइसेंस शुरू में था।
यह याचिका सोमवार को जस्टिस अजय गडकरी और जस्टिस रंजीतसिंह भोंसले की खंडपीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई। मामले की सुनवाई शुरू होने के बाद खंडपीठ ने मूल लाइसेंस की कॉपी मांगी, जो वानखेड़े की माँ के नाम पर जारी किया गया, जिनका 2015 में निधन हो गया। हालांकि, सीनियर एडवोकेट आबाद पोंडा और वकील रिज़वान मर्चेंट वाली अधिकारी की कानूनी टीम यह कहते हुए लाइसेंस नहीं दे सकी कि यह रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। इसलिए इसे रिकॉर्ड में लाने और याचिका में संशोधन करने के लिए समय मांगा।
जजों ने अनुरोध स्वीकार करते हुए आबकारी विभाग के निरीक्षक को तत्काल FIR में प्रतिनिधित्व के लिए नया नोटिस भी जारी किया।
हालांकि, पोंडा ने अदालत को याद दिलाया कि उनके मुवक्किल को फरवरी, 2022 में हाईकोर्ट की समन्वय पीठ द्वारा गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया गया। उन्होंने बताया कि FIR 'राजनीति' से प्रेरित है, क्योंकि उनके मुवक्किल ने एक पूर्व मंत्री के दामाद को ड्रग मामले में गिरफ्तार करने की कार्रवाई की।
हालांकि, खंडपीठ ने कहा कि वह दो सप्ताह बाद मामले की सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि वानखेड़े ने तर्क दिया है कि उनकी माँ द्वारा कथित अपराध के समय उनकी आयु 17 वर्ष थी।
याचिका में कहा गया,
"याचिकाकर्ता ने दृढ़ता से दलील दी कि FIR की सामग्री के अनुसार, कथित अपराध के समय आरोपी की आयु 17 वर्ष थी। याचिकाकर्ता की आयु मात्र 17 वर्ष होने के कारण वह कथित अपराध के समय बालिग नहीं था। देश का कानून यह स्वीकार नहीं करता कि नाबालिग में पूरे अपराध को अंजाम देने की क्षमता हो। वास्तव में जब कथित अपराध हुआ था, तब याचिकाकर्ता कॉलेज में ही था। याचिकाकर्ता केवल उन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर रहा था, जिन पर उसकी माँ ने उसे हस्ताक्षर करने के लिए कहा था।"
किशोर न्याय अधिनियम (JJ Act) का हवाला देते हुए वानखेड़े ने कहा कि यदि कोई अपराध हुआ है तो उसकी सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए।
याचिका में कहा गया,
"अपराध के समय, यदि कोई हो, याचिकाकर्ता की आयु 17 वर्ष थी, जो एक स्वीकृत तथ्य है और किशोर न्याय अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार, अधिनियम की धारा 9 के अनुसार उस पर किशोर न्याय बोर्ड द्वारा मुकदमा चलाया जाना चाहिए। आगे यह भी प्रस्तुत किया गया कि उक्त अधिनियम की धारा 2(के) के अनुसार, दस्तावेजों के अनुसार, याचिकाकर्ता अपराध के समय किशोर था और उसने 18 वर्ष की आयु पूरी नहीं की थी, इसलिए याचिकाकर्ता पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।"

