बॉम्बे हाईकोर्ट ने शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोपी IIM ग्रेजुएट को जमानत दी; उसे यातायात की देखरेख और 'शराब पीकर गाड़ी न चलाएं' का पोस्टर लगाकर मुंबई के एक व्यस्त चौराहे पर खड़े होने का आदेश दिया
Avanish Pathak
24 Jan 2025 1:20 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने ने गुरुवार को शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप में जेल में बंद एक 'उच्च शिक्षित' व्यक्ति को दिलचस्प शर्त पर जमानत दी। कोर्ट ने उसे तीन महीने (12 शनिवार और 12 रविवार) के लिए मुंबई के आलीशान वर्ली इलाके में व्यस्त चौराहे पर यातायात की देखरेख करके सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया, जिसमें उसके हाथ में "शराब पीकर गाड़ी न चलाएं" लिखा एक प्लेकार्ड होगा।
एकल न्यायाधीश जस्टिस मिलिंद जाधव ने कहा कि आवेदक सब्यसाची निशंक सेंट्रम वेल्थ लिमिटेड नामक एक एनबीएफसी में वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं, उनके पिता भारतीय रिजर्व बैंक के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और उनकी मां एक बिजनेस वुमेन हैं।
जस्टिस जाधव ने आदेश में कहा,
"प्रथम दृष्टया यह दिखता है कि आवेदक भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), लखनऊ से एमबीए है। वह 32 वर्ष का है और अविवाहित है। वह लगभग 2 महीने से हिरासत में है। वह एक अच्छे परिवार से है, जैसा कि मैं उसकी मां से बातचीत के बाद समझ पाया हूं, जो अदालत में मौजूद है। उसके भविष्य की संभावनाओं और इस तथ्य को देखते हुए कि वह युवा और उच्च शिक्षित है, उसे और अधिक कारावास की सज़ा नहीं दी जानी चाहिए।"
हालांकि, जज ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि निशंक नशे की हालत में लापरवाही से गाड़ी चला रहा था और उसने पुलिस अधिकारी के निर्देशों की अवहेलना की, जो 28 नवंबर, 2024 को रात की ड्यूटी पर था और उसने सार्वजनिक संपत्ति (बैरिकेड्स) को भी नुकसान पहुंचाया। जज ने उसे एक लाख रुपये की जमानत देते हुए कहा, "उसकी नशे की हालत के कारण, यह स्पष्ट है कि वह पकड़ा जाना नहीं चाहता था और इसलिए भाग गया।"
हालांकि, न्यायाधीश ने यह देखते हुए कि आवेदक ने अपने वाहन को रोकने के अधिकारी के आदेश का पालन नहीं किया और दो चौकियों पर बैरिकेड्स को क्षतिग्रस्त कर दिया, उसे पुलिस कल्याण कोष में 50,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया। इसके अलावा, पीठ ने निशंक को 3 महीने की अवधि के लिए 12 शनिवार और 12 रविवार को शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक वर्ली के व्यस्त सड़क जंक्शन पर यातायात की देखरेख करके सामुदायिक सेवा करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने आदेश में कहा, "यातायात अधिकारी आवेदक को तीन महीने की अवधि के लिए प्रत्येक शनिवार और रविवार को शाम 7:00 बजे से रात 10:00 बजे के बीच तीन घंटे की अवधि के लिए सड़क के सामने उक्त जंक्शन के फुटपाथ पर विशेष रूप से दिखाई देने वाली अच्छी तरह से रोशनी वाली जगह पर खड़ा करने के लिए नियुक्त करेगा (यानी 12 शनिवार और 12 रविवार) अपने हाथों में 4 फीट x 3 फीट का फ्लेक्स बैनर (काले अक्षरों और सफेद पृष्ठभूमि) लेकर (जिसे वह यातायात अधिकारी के निर्देश पर तैयार करेगा) जिस पर रंगीन ग्राफिक के साथ बोल्ड और बड़े फ़ॉन्ट में "शराब पीकर गाड़ी न चलाएं" शब्द लिखे होंगे।"
पीठ ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य शराब पीकर गाड़ी चलाने की बुराइयों और इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता और संदेश पैदा करना और फैलाना है। संबंधित यातायात पुलिस अधिकारी को आदेश दिया गया है कि वह सामुदायिक सेवा से गुजर रहे आवेदक की अनुपालन रिपोर्ट तैयार करें और तीन महीने के बाद उसे अदालत के समक्ष प्रस्तुत करें।
केस टाइटल: सब्यसाची निशंक बनाम महाराष्ट्र राज्य (जमानत आवेदन 5341/2024)

