बॉम्बे हाईकोर्ट ने नांदेड़ और संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच के लिए समिति गठित की

Praveen Mishra

27 March 2025 12:21 PM

  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने नांदेड़ और संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच के लिए समिति गठित की

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र के नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर जिलों के सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों से संबंधित एक स्वप्रेरित जनहित याचिका में 5 सदस्यीय समिति का गठन किया है। यह समिति जिलों के सरकारी अस्पतालों का दौरा कर वहां उपलब्ध बुनियादी ढांचे और चिकित्सा सुविधाओं पर रिपोर्ट तैयार करेगी।

    चीफ जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ ने समिति को यह सुझाव देने का निर्देश दिया है कि शिशु मृत्यु की घटनाओं को रोकने के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक उपाय क्या होने चाहिए।

    अक्टूबर 2023 में, कोर्ट ने विभिन्न समाचार पत्रों की उन रिपोर्टों का स्वत: संज्ञान लिया था, जिनमें नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर जिलों के सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में हुई मौतों, विशेष रूप से शिशुओं की मौतों पर प्रकाश डाला गया था। इन रिपोर्टों में डॉक्टरों के बयान भी शामिल थे, जिन्होंने कहा था कि ये मौतें बिस्तरों, डॉक्टरों और आवश्यक दवाओं की कमी के कारण हुईं। पिछली सुनवाई के दौरान, एमिकस क्यूरी ने अदालत को बताया था कि राज्य सरकार ने मेडिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए बजट का केवल 66% ही उपयोग किया है। इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से राज्य सरकार से पूछा था कि राज्य में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर कसित करने के लिए बजट का पूरा उपयोग क्यों नहीं किया जा रहा है।

    आज सुनवाई के दौरान, राज्य के वकील ने अदालत को सूचित किया कि इस मुद्दे पर सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग, चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग और क्रय विभाग द्वारा हलफनामे दायर किए गए हैं। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे का समाधान करने के लिए वह एक न्यायालय-निगरानी समिति का गठन करेगी।

    इसलिए, अदालत ने एक समिति का गठन किया, जिसमें मेडिकल शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के सचिव, स्वास्थ्य विज्ञान और मेडिकल शिक्षा के निदेशक, तथा जे.जे., नांदेड़ और संभाजीनगर मेडिकल कॉलेजों के डीन शामिल हैं। अदालत ने समिति को दो महीने के भीतर इस कार्य को पूरा करने का निर्देश दिया।

    इसके अलावा, एमिकस क्यूरी ने अदालत के समक्ष यह बिंदु उठाया कि केवल ग्रामीण अस्पताल ही नहीं, बल्कि प्राथमिक अस्पतालों में भी राज्य में पर्याप्त सुविधाओं की कमी है। हालांकि, अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि इस तरह के मूल्यांकन में वर्षों लग जाएंगे, और फिलहाल उसका ध्यान नांदेड़ और संभाजीनगर जिलों के सरकारी अस्पतालों पर केंद्रित है।

    अदालत इस मामले की अगली सुनवाई 16 जून को करेगी।

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