BNSS की धारा 106 के तहत जांच एजेंसी को बैंक खाता फ्रीज करने का अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

Praveen Mishra

25 Nov 2025 2:08 PM IST

  • BNSS की धारा 106 के तहत जांच एजेंसी को बैंक खाता फ्रीज करने का अधिकार नहीं: बॉम्बे हाईकोर्ट

    बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: BNSS की धारा 106 के तहत पुलिस बैंक खाते फ्रीज नहीं कर सकती, अटैचमेंट केवल मजिस्ट्रेट के आदेश से संभव

    बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी भी जांच एजेंसी को भारतिया नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 106 के तहत बैंक खाता फ्रीज या अटैच करने का अधिकार नहीं है। अदालत ने कहा कि धारा 106 केवल जांच के उद्देश्य से संपत्ति जप्त करने की अनुमति देती है, जबकि बैंक खाते का अटैचमेंट या अपराध से अर्जित धन को रोकना केवल धारा 107 के तहत मजिस्ट्रेट के आदेश से ही किया जा सकता है।

    जस्टिस अनिल एल. पंसारे और जस्टिस राज डी. वाकोड़े की खंडपीठ साइबर धोखाधड़ी से जुड़े कई मामलों पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें जांच एजेंसियों ने यह कहते हुए याचिकाकर्ताओं के बैंक खातों को डेबिट-फ्रीज कर दिया था कि धोखाधड़ी की रकम का कुछ हिस्सा उनके खातों में जमा हुआ है। अदालत ने पाया कि कई मामलों में तो जांच एजेंसी द्वारा बैंक को भेजा गया पत्र भी रिकॉर्ड में नहीं था, जिससे यह प्रश्न उठता है कि बैंक ने कार्रवाई किस आधार पर की। अदालत ने यह भी कहा कि जहाँ उपयुक्त हो, पीड़ित ऐसे अवैध फ्रीजिंग के लिए मुआवजे की मांग कर सकते हैं।

    हाईकोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के Headstar Global Pvt. Ltd. बनाम State of Kerala (2025) फैसले का व्यापक संदर्भ दिया, जिसमें कहा गया था कि धारा 106 (पुरानी धारा 102 CrPC की तरह) केवल संपत्ति जब्त करने की अनुमति देती है, न कि बैंक खाते अटैच करने की। अटैचमेंट की प्रक्रिया धारा 107 के तहत मजिस्ट्रेट की अनुमति से ही होती है, और सुप्रीम कोर्ट ने भी केरल हाईकोर्ट के इस निर्णय में हस्तक्षेप से इनकार किया था, जिससे यह कानूनी स्थिति अब दृढ़ रूप से स्थापित हो चुकी है।

    अदालत ने यह भी कहा कि, “डेबिट-फ्रीज लगाना बैंक खाते को अटैच करने के समान है और धारा 106 के तहत ऐसा करना असंवैधानिक है।”

    इसके साथ ही कोर्ट ने गृह मंत्रालय द्वारा जारी Citizen Financial Cyber Frauds Reporting and Management System का उल्लेख किया, जिसमें बैंकों को शिकायत प्राप्त होने पर केवल विवादित राशि पर लियन लगाने की अनुमति है, लेकिन डेबिट-फ्रीज की अनुमति नहीं है।

    अंत में हाईकोर्ट ने धारा 106 के तहत किए गए सभी डेबिट-फ्रीज आदेशों को रद्द कर दिया और स्पष्ट किया कि भविष्य में यदि किसी बैंक खाते को अटैच करना हो, तो जांच अधिकारियों को BNSS की धारा 107 में निर्धारित पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।

    इस आदेश ने साइबर फ्रॉड मामलों में जांच प्रक्रिया को लेकर कई राज्यों में जारी भ्रम तथा मनमानी पर बड़ा विराम लगा दिया है।

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