बॉम्बे हाईकोर्ट ने 'लुटेरे' फिल्म प्रोड्यूसर्स की निषेधाज्ञा याचिका खारिज की
Shahadat
21 Aug 2025 6:25 PM IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना कि निर्माता संघ के साथ फिल्म टाइटल का रजिस्ट्रेशन अपने आप में किसी तीसरे पक्ष के विरुद्ध कोई प्रवर्तनीय विशेष अधिकार नहीं बनाता। इसलिए यह निषेधाज्ञा का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे रजिस्ट्रेशन केवल संघ के सदस्यों के बीच आंतरिक विनियमन के लिए हैं और ट्रेडमार्क एक्ट या कॉपीराइट एक्ट के तहत इनका कोई वैधानिक अधिकार नहीं है।
जस्टिस संदीप वी. मार्ने सुनील द्वारा दायर वाणिज्यिक बौद्धिक संपदा मुकदमे में अंतरिम आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे। सुनील ने फिल्म निर्माता संघ के साथ रजिस्ट्रेशन के आधार पर "लुटेरे" टाइटल पर प्राथमिकता का दावा किया और कहा कि प्रतिवादी नंबर 1 और 2 उक्त टाइटल में वादी के अधिकारों का गैरकानूनी रूप से शोषण करके कोई फिल्म या वेब सीरीज़ नहीं बना सकते।
कॉपीराइट उल्लंघन के आरोप पर न्यायालय ने कहा कि वादी को ही उस फिल्म के कॉपीराइट का उपयोग करने का अधिकार है, अन्य किसी को छोड़कर। हालांकि, वादी द्वारा फिल्म 'लुटेरे' की साहित्यिक कृति में कॉपीराइट के उल्लंघन का कोई दावा नहीं किया गया।
इसलिए न्यायालय ने टिप्पणी की:
“टाइटल में समानता के अलावा, वादी की सिनेमैटोग्राफ फिल्म 'लुटेरे' की कहानी में प्रतिवादी नंबर 1 की वेब सीरीज़ से कोई समानता नहीं है। इसलिए प्रतिवादी नंबर 1 की ओर से कहानी या सिनेमैटोग्राफ फिल्म में वादी के कॉपीराइट के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं है।”
टाइटल में कॉपीराइट के मुद्दे पर न्यायालय ने दोहराया कि किसी फिल्म के केवल टाइटल में कॉपीराइट नहीं हो सकता। इसलिए वादी केवल फिल्म 'लुटेरे' के टाइटल में किसी भी अधिकार का दावा नहीं कर सकता।
वादी द्वारा निर्माताओं के संघ के साथ टाइटल के रजिस्ट्रेशन के संबंध में न्यायालय ने माना कि यह संघ सदस्यों के बीच आंतरिक संविदात्मक व्यवस्था है और कानून में इसकी कोई वैधता नहीं है।
न्यायालय ने कहा,
“किसी भी संघ द्वारा दिए गए रजिस्ट्रेशन का उल्लंघन किसी भी वैधानिक अधिकार को जन्म नहीं देगा। संघ और उसके सदस्यों के बीच आंतरिक व्यवस्था द्वारा निर्मित संविदात्मक अधिकार केवल संघ के सदस्यों के संबंध में ही लागू किया जा सकता है। ऐसा संविदात्मक अधिकार किसी ऐसी संस्था के विरुद्ध लागू नहीं किया जा सकता, जो संघ का सदस्य नहीं है। वर्तमान मामले में प्रतिवादी नंबर 1 प्रतिवादी नंबर 4 संघ का सदस्य नहीं है।”
न्यायालय ने वादी के इस तर्क का भी खंडन किया कि प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा इस प्रकार की पूछताछ करने का तथ्य ही यह दर्शाता है कि स्वामी से लाइसेंस प्राप्त किए बिना टाइटल का उपयोग करना अनुचित है। न्यायालय ने कहा कि प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा 'लुटेरे' टाइटल के बारे में पूछताछ करने वाले किसी भी संघ के साथ किया गया कोई भी पत्राचार वेब-सीरीज़ के निर्माता को बाध्य नहीं करेगा।
तदनुसार, न्यायालय ने माना कि वादी प्रथम दृष्टया मामला, अपूरणीय क्षति और सुविधा संतुलन के त्रिविध परीक्षणों को पूरा करने में विफल रहा है। इसलिए निषेधाज्ञा के लिए अंतरिम आवेदन खारिज कर दिया गया।
Case Title: Sunil v. Star India Pvt. Ltd. & Ors. [INTERIM APPLICATION NO. 3347 OF 2024 IN COMMERCIAL IPR SUIT NO. 236 OF 2024]

