पतंजलि फूड्स ने अतिक्रमण हटाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की

Praveen Mishra

13 Jun 2025 2:44 PM IST

  • पतंजलि फूड्स ने अतिक्रमण हटाने को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की

    बाबा रामदेव की पतंजलि फूड्स प्राइवेट लिमिटेड ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है और महाराष्ट्र सरकार तथा उसके अधिकारियों को रायगढ़ जिले के खालापुर क्षेत्र (जो नवी मुंबई के पास स्थित है) में उसकी कई जमीनों पर किए गए अवैध अतिक्रमणों को हटाने का निर्देश देने की मांग की है।

    एडवोकेट अपूर्व श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि संबंधित अधिकारी पतंजलि फूड्स प्राइवेट लिमिटेड की जमीनों को अवैध अतिक्रमणकारियों से सुरक्षित रखने में विफल रहे हैं, जिन्होंने इन जमीनों पर दुकानें खोल दी हैं।

    याचिका के अनुसार, तीन व्यक्तियों - सुनील मालसुरे, मयूर देवघरे और सुदेश खंडागले - ने क्रमशः एक स्थानीय राजनेता का कार्यालय, एक होटल और एक टायर की दुकान इन जमीनों पर खोल रखी है।

    याचिका में कहा गया है, "ये तीनों प्रतिवादी याचिकाकर्ता की भूमि के अवैध अतिक्रमणकारी और अघिकारी कब्जेदार हैं। मालसुरे ने कानून का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए इस जमीन पर एक स्थानीय राजनेता का कार्यालय बना रखा है। देवघरे ने भी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए इस जमीन पर अवैध रूप से एक होटल का निर्माण किया है। यह अवैध निर्माण न केवल याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन करता है बल्कि फैक्ट्री के कामगारों, फैक्ट्री से जुड़े व्यक्तियों और होटल में आने-जाने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर और आसन्न खतरा पैदा करता है। इसके अलावा, खंडागले इस जमीन का उपयोग टायर पंक्चर की दुकान चलाने के लिए कर रहे हैं, जिससे फैक्ट्री संचालन, उसके कर्मचारियों और अन्य संबंधित पक्षों के लिए खतरे और भी बढ़ गए हैं।"

    याचिका में कहा गया है कि इन अतिक्रमण और अवैध उपयोग की घटनाएं संयुक्त रूप से संपत्ति और सुरक्षा मानकों का 'घोर' उल्लंघन हैं, जिनके चलते तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप और सुधारात्मक कार्रवाई की आवश्यकता है।

    याचिका में आगे कहा गया है, "यह अवैध निर्माण न केवल याचिकाकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन करता है, बल्कि फैक्ट्री के कामगारों, उससे जुड़े लोगों और अवैध होटल में आने-जाने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए गंभीर और आसन्न खतरा उत्पन्न करता है।"

    इसके अलावा, याचिका में यह भी बताया गया है कि याचिकाकर्ता द्वारा संबंधित अधिकारियों — जैसे कि उप-जिलाधिकारी, तहसीलदार, मुख्य अभियंता और उनके उप-अभियंता — को कई बार शिकायतें देने के बावजूद किसी ने भी याचिकाकर्ता की सहायता नहीं की।

    याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता कंपनी में काम करने वाले लोगों, आम जनता और स्वयं अतिक्रमणकारियों के लिए उनके द्वारा किए गए अवैध निर्माण के कारण उत्पन्न संभावित और आसन्न खतरे की जानकारी कई बार संबंधित उत्तरदायी अधिकारियों को पत्र लिखकर दी गई, फिर भी वे इस गंभीर विषय का संज्ञान लेने और अतिक्रमणकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने में बुरी तरह विफल रहे। याचिकाकर्ता यह निवेदन करता है कि उक्त कानून के प्रावधानों का पालन न कर के ये उत्तरदायी अधिकारी अवैध अतिक्रमणकारियों को याचिकाकर्ता की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा बनाए रखने और उसका इस्तेमाल करने की अनुमति दे रहे हैं।"

    यह मामला गुरुवार को जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और डॉ. नीला गोखले की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। हालांकि, इसे अब जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष पेश करने का आदेश दिया गया है, जिन्हें फिलहाल इस याचिका की सुनवाई का कार्यभार सौंपा गया है।

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