गिरफ्तारी का इस्तेमाल मौत की सजा देने के लिए नहीं किया जा सकता: जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया

Shahadat

1 May 2024 11:42 AM IST

  • गिरफ्तारी का इस्तेमाल मौत की सजा देने के लिए नहीं किया जा सकता: जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया

    जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल ने केनरा बैंक ने जेट एयरवेज को दिए 538 करोड़ रुपये के कथित लोन डिफ़ॉल्ट से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    जस्टिस एनजे जमादार ने नरेश गोयल की याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई 3 मई, 2024 को तय की, जबकि गोयल न्यायिक हिरासत के तहत अस्पताल में रहेंगे।

    गोयल ने अपनी जमानत याचिका में दलील दी,

    “यह अच्छी तरह से हो सकता है कि आने वाले ये कुछ महीने आवेदक और उसकी पत्नी के लिए सड़क का अंत हो सकते हैं। इन परिस्थितियों में आवेदक को कैद में रखना और उसकी जमानत को अस्पताल में रहने तक सीमित करना, जहां वह अपनी पत्नी के साथ नहीं रह सकता, बुनियादी मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। युद्धबंदियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता, जो बहुत अपमानजनक और अमानवीय है।”

    जेट एयरवेज से संबंधित 538.62 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गोयल को 1 सितंबर, 2023 को ED ने गिरफ्तार किया। गोयल वर्तमान में एचएन रिलायंस प्राइवेट अस्पताल में कैंसर का इलाज करा रहे हैं। उनको 10 अप्रैल, 2024 को विशेष पीएमएलए अदालत ने मेडिकल आधार पर स्थायी जमानत देने से इनकार कर दिया था। इस प्रकार, उन्होंने हाईकोर्टट का दरवाजा खटखटाया।

    गोयल की याचिका पर प्रकाश डाला गया,

    “पीएमएलए के तहत भी प्री-ट्रायल गिरफ्तारी जांच में सहायता करने और आरोपी को सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने से रोकने के लिए है। हालांकि, इसे अभियुक्त के बुनियादी मानवाधिकारों के साथ संतुलित किया जाना चाहिए और इसका उपयोग अभियुक्त को वास्तविक मृत्युदंड देने के लिए नहीं किया जा सकता… वह एडवांस कैंसर से पीड़ित है, जिसका इलाज जटिल है। आवेदक की पत्नी गंभीर कैंसर से पीड़ित है और कई सर्जरी के बावजूद कैंसर फिर से उभर आया है। उनकी पत्नी के स्वास्थ्य की यह स्थिति आवेदक की मानसिक स्थिति को खराब कर रही है।”

    अपने आवेदन में उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी भी कैंसर से पीड़ित हैं और उनकी हालत गंभीर है। आवेदन में दलील दी गई कि संविधान के अनुच्छेद 21 के आधार पर जमानत दी जानी चाहिए, जिससे गोयल बीमारी की गंभीर अवस्था के दौरान अपनी पत्नी के साथ रह सकें।

    याचिका में तर्क दिया गया कि उन्हें जमानत देने से इनकार करना अनुच्छेद 21 के तहत उनके जीवन के मौलिक अधिकार को प्रतिबंधित करता है। तर्क दिया गया कि उनकी और उनकी पत्नी की स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए उनकी वर्तमान कैद अमानवीय है।

    आवेदन में लिखा,

    “आवेदक और उसकी पत्नी भी संविधान के अनुच्छेद 21 में दी गई सुरक्षा के हकदार हैं। अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में जब वे दोनों जीवन के लिए ख़तरनाक स्थितियों से जूझ रहे हैं, उन्हें प्राथमिक देखभाल दाता के रूप में एक-दूसरे को सहायता प्रदान करने की अनुमति दी जानी चाहिए।”

    आवेदन में कहा गया कि गोयल उनके प्राथमिक देखभालकर्ता हैं, जो न केवल उनकी देखभाल के लिए, बल्कि उनके उपचार से संबंधित निर्णय लेने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

    आवेदन में यह भी उल्लेख किया गया कि गोयल अपनी बीमारी के लिए वैकल्पिक उपचार तलाशना चाहते हैं और दूसरी राय लेना चाहते हैं, जो वह न्यायिक हिरासत के तहत अस्पताल में बैठकर नहीं कर सकते। आवेदन में कहा गया कि इसके अलावा, कीमोथेरेपी उपचार के दौरान और उसके बाद उसे स्वच्छ वातावरण की आवश्यकता होगी और उसे वापस जेल नहीं भेजा जा सकता है।

    आवेदन में यह भी बताया गया कि गोयल की स्वास्थ्य स्थिति की गंभीरता के बावजूद, मुकदमा अभी तक शुरू नहीं हुआ है और ED द्वारा कोई पूरक अभियोजन शिकायत दायर नहीं की गई।

    फरवरी में विशेष पीएमएलए अदालत ने मेडिकल आधार पर गोयल को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया था, लेकिन उन्हें कैंसर के इलाज के लिए दो महीने के लिए अस्पताल में भर्ती होने की अनुमति दी थी।

    पिछले साल हाईकोर्ट ने भी गोयल की गिरफ्तारी को रद्द करने से इनकार किया था।

    केस टाइटल- नरेश गोयल बनाम ED

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