सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में अवैध भूमि आवंटन मामले में गुजरात के पूर्व IPS अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने कच्छ के भुज में दर्ज 2023 के अवैध भूमि आवंटन मामले के संबंध में सेवानिवृत्त IPS अधिकारी प्रदीप निरंकारनाथ शर्मा की जमानत खारिज की।
शर्मा पर कच्छ जिले के तत्कालीन कलेक्टर के रूप में मौद्रिक लाभ के लिए सरकारी भूमि के कथित अवैध आवंटन के लिए भ्रष्टाचार और आपराधिक विश्वासघात का आरोप है। उनके खिलाफ 2023 में दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 439 के तहत FIR दर्ज की गई थी, जो भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 217, 120 बी, 114 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 (सी) के तहत दंडनीय अपराध के लिए सीआईडी क्राइम बोर्डर जोन पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR के संबंध में नियमित जमानत के लिए थी।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने आदेश पारित किया,
"हमें आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई उचित कारण नहीं मिला। तदनुसार अपील खारिज की जाती है।"
यह SLP गुजरात हाईकोर्ट द्वारा पिछले वर्ष मार्च में उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। हाईकोर्ट ने शर्मा के पक्ष में अनिच्छा व्यक्त की, क्योंकि उनके उच्च सरकारी पद पर रहने के दौरान इसी तरह के अपराधों के लिए उनके खिलाफ कई FIR दर्ज की गई थीं।
जस्टिस दिव्येश जोशी ने शर्मा की याचिका खारिज करते हुए कहा था,
"यह ध्यान देने योग्य है कि हाल के दिनों में देश में सामाजिक आर्थिक अपराधों में वृद्धि हुई है। ये ऐसे अपराध हैं जो केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए किए जाते हैं। ये अपराध देश के आर्थिक ढांचे के हर हिस्से को प्रभावित कर रहे हैं और लोगों का सिस्टम में विश्वास खत्म कर रहे हैं। निम्नलिखित परिस्थितियों में व्यक्ति बहुत प्रभावशाली है और मामले को गुमराह करने की पूरी संभावना है। इसलिए ऐसे मामलों में जमानत नहीं दी जानी चाहिए। जमानत आवेदन की अनुमति अपराध की प्रकृति और संबंधित परिस्थितियों पर निर्भर करती है।"
केस टाइटल: प्रदीप निरंकारनाथ शर्मा बनाम प्रवर्तन निदेशालय और अन्य | एसएलपी (सीआरएल) संख्या 6185/2023