सुप्रीम कोर्ट ने दिव्यांग बलात्कार पीड़िता को AIIMS में इलाज की अनुमति दी

Update: 2025-06-02 10:40 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि दिव्यांग महिला, जो सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई है, उसको दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) या किसी उपयुक्त अस्पताल में तुरंत मेडिकल सुविधा दी जाए।

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। याचिका में दिव्यांग बलात्कार पीड़िता के लिए तत्काल मुफ्त और पर्याप्त मेडिकल सुविधा की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि पीड़िता को शारीरिक अक्षमता, यौन हिंसा और सामाजिक बहिष्कार के चलते गंभीर मानसिक और शारीरिक पीड़ा झेलनी पड़ी है।

पीड़िता के सीनियर एडवोकेट शोभा गुप्ता ने अदालत में पक्ष रखा। केंद्र सरकार की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और पंजाब राज्य की ओर से एडिशनल एडवोकेट जनरल शादान फरासत पेश हुए।

मामला

पीड़िता पहले जलने की एक घटना के इलाज के दौरान जालंधर के खम्बरा चर्च में शरण ले रही थी। वहीं से उसे एक ऑनलाइन कैब के जरिए सिविल अस्पताल से चर्च ले जाया गया। आरोप है कि कैब चालक ने बाद में उसका पीछा किया और अंततः उसके साथ बलात्कार किया। इस दौरान सामूहिक बलात्कार, यौन शोषण और अवैध रूप से बंधक बनाने के आरोप भी लगे हैं। आरोपित ने उसे चर्च से अन्य स्थानों पर ले जाकर कई बार यौन उत्पीड़न किया।

एक स्टॉप सेंटर, सिविल अस्पताल की मदद से पीड़िता को बचाया गया और आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 के तहत FIR दर्ज की गई। त्वरित अदालत ने आरोपी को दोषी करार देते हुए 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। आरोपी ने अब पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की है, जो विचाराधीन है।

वर्तमान याचिका में पंजाब पीड़ित मुआवजा योजना, 2017 के तहत अधिकतम मुआवजा और दिल्ली में इलाज एवं पुनर्वास की मांग की गई, क्योंकि अब पीड़िता दिल्ली में निवास करती है। इसके साथ ही, उसकी शारीरिक अक्षमता और लंबे समय तक चले मानसिक एवं शारीरिक उत्पीड़न को देखते हुए मासिक वित्तीय सहायता, पोषण, मेडिकल, देखभाल और आश्रय के लिए सहायता की मांग की गई।

याचिका में यह भी कहा गया कि यह मामला "दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016" के पालन की कमी को उजागर करता है, जिसमें दिव्यांग व्यक्तियों को समानता, गरिमा, स्वास्थ्य सेवा, न्याय तक पहुंच और सुरक्षा का अधिकार दिया गया। जांच और न्याय प्रक्रिया में इन अधिकारों का पालन नहीं हुआ।

टाइटल: XYZ बनाम भारत संघ एवं अन्य |

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